गुरु पूर्णिमा पर जेल से बाहर रहेंगे आसाराम, राजस्थान हाईकोर्ट ने अंतरिम ज़मानत 12 अगस्त तक बढ़ाई; अनुयायियों से मिलने पर रोक

नाबालिग से बलात्कार के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम इस बार गुरु पूर्णिमा (10 जुलाई) पर जेल से बाहर रहेंगे। राजस्थान हाईकोर्ट ने उनकी अंतरिम ज़मानत को 12 अगस्त तक बढ़ा दिया है। हालांकि, अदालत ने सख्ती से यह स्पष्ट किया है कि वह इस दौरान अपने अनुयायियों से नहीं मिल सकेंगे।

जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत माथुर की खंडपीठ ने सोमवार को यह आदेश पारित किया। इससे पहले 9 जुलाई तक की अंतरिम राहत उन्हें राजस्थान हाईकोर्ट से मिली थी। इससे पहले, 3 जुलाई को गुजरात हाईकोर्ट ने भी उन्हें चिकित्सा आधार पर 30 दिनों की अंतरिम ज़मानत दी थी।

2013 से जेल में बंद, 2018 में सुनाई गई उम्रकैद
86 वर्षीय आसाराम 2013 में एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म के मामले में दोषी करार दिए गए थे और 2018 में जोधपुर की विशेष POCSO अदालत ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सजा के बाद यह पहला अवसर है जब वह गुरु पूर्णिमा के दिन जेल से बाहर रहेंगे।

ज़मानत की शर्त: अनुयायियों से मुलाकात नहीं
हाईकोर्ट ने अपनी शर्तों में स्पष्ट किया है कि ज़मानत की अवधि के दौरान आसाराम किसी भी सार्वजनिक या धार्मिक आयोजन में हिस्सा नहीं ले सकते और न ही अपने अनुयायियों से मिल सकते हैं। यह शर्त पूर्व सुनवाई के दौरान जुड़ी थी ताकि जेल के बाहर उनके समय का दुरुपयोग न हो।

READ ALSO  यौन रुझान के कारण सेवाओं से हटाई गई ट्रांसजेंडर शिक्षिका ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया

अहमदाबाद के मोटेरा आश्रम में रह रहे हैं
राजस्थान हाईकोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद 7 जुलाई को आसाराम जोधपुर जेल से निकलकर अहमदाबाद के मोटेरा स्थित अपने आश्रम पहुंचे थे। पहले वह 9 जुलाई तक वहीं रुकने वाले थे, लेकिन अब ज़मानत बढ़ने के बाद संभावना है कि वह वहीं लंबे समय तक रहेंगे।

गुजरात हाईकोर्ट में ज़मानत की कार्यवाही जारी
गुजरात हाईकोर्ट में आसाराम के वकील ने बताया कि नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (NALSA) से प्रमाणपत्र अभी लंबित है, जो यह साबित करेगा कि वह 70 वर्ष से अधिक उम्र के हैं और गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं। वकील ने यह भी तर्क दिया कि ज़मानत प्रक्रिया में हुई देरी के कारण उनके पहले से स्वीकृत ज़मानती अवधि के 10 दिन व्यर्थ चले गए।

ज़मानत के दुरुपयोग का आरोप
विपक्षी वकील ने तर्क दिया कि आसाराम जानबूझकर विभिन्न अस्पतालों में जाकर ज़मानत की अवधि बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जोधपुर के एम्स या अच्छे आयुर्वेदिक अस्पतालों में उनका इलाज संभव था और इसके लिए यात्रा की आवश्यकता नहीं थी।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने चार हाईकोर्ट में नए जजों की सिफारिश की

गुजरात हाईकोर्ट ने चेताया: अंतहीन न हो जाए अंतरिम ज़मानत
गुजरात हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि अंतरिम ज़मानतों को बार-बार बढ़ाना न्यायिक प्रक्रिया को अंतहीन बना सकता है, जिससे बचना जरूरी है। अदालत इस मामले में अगली सुनवाई में अंतिम निर्णय ले सकती है।


आसाराम के वकील अब भी उम्र, बीमारी और 90 दिनों की पंचकर्म चिकित्सा को आधार बनाकर ज़मानत की मांग कर रहे हैं। इससे पहले जनवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें चिकित्सा आधार पर अंतरिम ज़मानत दी थी, लेकिन उस आदेश में भी यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि वह अपने अनुयायियों से नहीं मिल सकते और उन्हें पुलिस निगरानी में रहना होगा।

READ ALSO  दिल्ली हाई कोर्ट ने अधिकारियों से रामलीला मैदान में बैठक की अनुमति संबंधी याचिका पर जवाब देने को कहा

पृष्ठभूमि:
आसाराम को 2013 में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और 2018 में POCSO अदालत ने उन्हें दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सजा के बाद से वह जोधपुर केंद्रीय कारागार में बंद थे और समय-समय पर चिकित्सा आधार पर ज़मानत की याचिकाएं दायर करते रहे हैं।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles