सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के पूर्व विधायक और वाईएसआरसीपी नेता पिन्नेली राम कृष्णा रेड्डी तथा उनके भाई पिन्नेली वेंकटारामी रेड्डी की अग्रिम ज़मानत याचिकाएँ खारिज कर दीं और इस बात पर गहरी नाराज़गी जताई कि आरोपियों ने जांच अधिकारी द्वारा दर्ज किए गए बयान हासिल कर लिए, जबकि अभी तक चार्जशीट भी दायर नहीं हुई है।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि जिस तरीके से ये दस्तावेज़ प्राप्त किए गए, वह “साजिश” की ओर इशारा करता है और यह सीधे तौर पर जांच में दखल है।
सुनवाई के दौरान बेंच ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा:
“आपने ये किसी भी तरह से हासिल किया हो, यह बिल्कुल अस्वीकार्य है। यह जांच में हस्तक्षेप है। आप अंदर जाइए। आपको यह कैसे मिल गया?”
बेंच ने कहा कि चार्जशीट तक दायर नहीं हुई है, फिर भी आरोपियों के पास जांच के बयान हैं, जो अपने आप में “आरोपियों की पहुंच” पर सवाल खड़ा करता है।
जब अदालत ने पूछा कि ये दस्तावेज़ कैसे मिले, तो याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि उन्हें यह सामग्री “वैध तरीके से” कोर्ट से मिली। इस पर बेंच ने स्पष्ट कहा:
“ऐसा हो ही नहीं सकता। अदालत कभी केस डायरी नहीं दे सकती।”
आंध्र प्रदेश की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्थार्थ लूथरा ने भी चिंता जताते हुए कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि आरोपी इतने संवेदनशील दस्तावेज़ कैसे हासिल कर पाए।
दोनों आरोपी मई 2025 में पलनाडु ज़िले में जे. वेंकटेश्वरलु और जे. कोटेश्वर राव की हत्या के मामले में साजिशकर्ता के रूप में नामित हैं। आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने पहले ही उनकी अग्रिम ज़मानत याचिकाएँ यह कहते हुए खारिज कर दी थीं कि अपराध गंभीर है और जांच अत्यंत महत्वपूर्ण चरण में है।
“अग्रिम ज़मानत देने से जांच प्रभावित हो सकती है,” हाई कोर्ट ने कहा था।
सुप्रीम कोर्ट ने 4 सितंबर को अंतरिम आदेश के तहत उन्हें गिरफ़्तारी की स्थिति में ज़मानत देने का निर्देश दिया था, लेकिन यह सुरक्षा सीमित और अंतिम निर्णय तक के लिए थी।
शुक्रवार की सुनवाई के दौरान जब यह सामने आया कि आरोपियों ने जांच के बयान अदालत में पेश किए हैं, तो सुप्रीम कोर्ट ने दोनों की अग्रिम ज़मानत याचिकाएँ खारिज करते हुए निर्देश दिया कि वे दो सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करें।
याचिकाकर्ताओं ने राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप लगाया, लेकिन बेंच ने कहा कि आरोपी जांच के “भीतरी विवरण” तक कैसे पहुंच गए, यह अपने आप में गंभीर सवाल है।
दूसरे याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शुएब आलम पेश हुए।
डबल मर्डर केस की जांच आंध्र प्रदेश पुलिस द्वारा जारी है।




