इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल में हुई हिंसक घटनाओं से संबंधित एक जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज करते हुए कहा कि मामले की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा पहले ही एक न्यायिक आयोग का गठन किया जा चुका है। न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की पीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि मामले की जांच आयोग द्वारा पहले ही की जा रही है।
जनहित याचिका में ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए पुलिस के लिए विशिष्ट दिशा-निर्देशों की मांग की गई थी, लेकिन न्यायालय ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। इसके बजाय, इसने सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता यदि चाहे तो उचित मंचों के माध्यम से सहारा ले सकता है। न्यायालय के निर्णय के बाद, याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस लेने का अनुरोध किया, जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया।
जनहित याचिका शुरू में वाराणसी के एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार आनंद प्रकाश तिवारी द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने सेवानिवृत्त हाईकोर्ट के न्यायाधीश के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का आग्रह किया था। प्रस्तावित टीम में मुरादाबाद के कमिश्नर, संभल के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) तथा अन्य स्थानीय अधिकारियों को शामिल किया जाना था, जो उपद्रव में उनकी भूमिका की जांच करेंगे और रिपोर्ट देंगे।
इसके अतिरिक्त, याचिका में संभल की घटनाओं में राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन की संलिप्तता की जांच के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी की मांग की गई थी। वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश ने अन्य कानूनी प्रतिनिधियों के साथ मौजूदा न्यायिक उपायों का बचाव करते हुए तर्क दिया कि हाईकोर्ट के न्यायाधीश की देखरेख में एक उच्च स्तरीय जांच पहले से ही चल रही है।