इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक कानूनी कार्यवाही में एक पक्षकार की उपस्थिति सुनिश्चित करने में पुलिस की निष्क्रियता पर सख्त रुख अपनाया है। न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव, जो मामला अनुच्छेद 227 संख्या – 755/2025 की सुनवाई कर रहे थे, ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को लखनऊ पुलिस कमिश्नर और अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू करने का निर्देश दिया। पुलिस अधिकारियों पर न्यायिक आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित न करने का आरोप है।
मामले की पृष्ठभूमि
यह याचिका नाबालिग श्रेया सक्सेना और एक अन्य द्वारा दायर की गई थी, जिनका प्रतिनिधित्व अधिवक्ता राज कुमार सिंह और रजत एरेन कर रहे थे। इस याचिका में उत्तर प्रदेश राज्य और एक अन्य पक्षकार को प्रतिवादी बनाया गया था।
मामले का मुख्य मुद्दा यह था कि पुलिस अधिकारियों ने अदालत के आदेशों का पालन नहीं किया, जिसमें ज्योति सक्सेना (प्रशांत सक्सेना की पत्नी एवं कृष्ण मुरारी सक्सेना की पुत्री – प्रतिवादी संख्या 2) की व्यक्तिगत उपस्थिति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए थे। हाईकोर्ट ने पहले 14 फरवरी 2025 और 4 मार्च 2025 को आदेश जारी किए थे, लेकिन पुलिस ने उनका पालन नहीं किया।

मुख्य कानूनी मुद्दे
यह मामला निम्नलिखित महत्वपूर्ण कानूनी बिंदुओं को उठाता है:
- कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में पुलिस की विफलता
- कानूनी कार्यवाही में पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही
- न्यायिक आदेशों का प्रशासनिक कार्यों पर नियंत्रण
कोर्ट ने यह पाया कि पुलिस कमिश्नर, डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (ईस्ट), चिनहट थाने के एसएचओ और उपनिरीक्षक मोहित कुमार ने न्यायिक आदेश का सही रूप में पालन नहीं किया। इसके बजाय, पुलिस ने केवल एक नोटिस जारी कर दिया, जबकि कोर्ट ने प्रतिवादी की व्यक्तिगत उपस्थिति सुनिश्चित करने का स्पष्ट आदेश दिया था।
कोर्ट के टिप्पणियां और आदेश
न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव ने पुलिस की कार्यप्रणाली की कड़ी आलोचना करते हुए कहा:
“पुलिस विभाग के किसी भी अधिकारी, जिसमें पुलिस कमिश्नर, डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (ईस्ट), एसएचओ चिनहट और उपनिरीक्षक शामिल हैं, ने 14 फरवरी 2025 और 4 मार्च 2025 को इस अदालत द्वारा पारित आदेशों को पढ़ने की भी जहमत नहीं उठाई।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि लखनऊ के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) के समक्ष प्रस्तुत अनुपालन रिपोर्ट केवल औपचारिकता थी और उसमें हाईकोर्ट के निर्देशों का वास्तविक अनुपालन नहीं किया गया था।
मामले की गंभीरता को देखते हुए, हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक को इस मामले की जांच करने और अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार (अनुपालन) को प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
अगली सुनवाई और कोर्ट के निर्देश
- मामले की अगली सुनवाई 25 मार्च 2025 को होगी।
- 14 फरवरी 2025 को जारी किए गए अंतरिम आदेश अगले आदेश तक प्रभावी रहेंगे।
- प्रतिवादी संख्या 2 के वकील अतुल कुमार कुशवाहा ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि वह अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहेंगी।