इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा स्पोर्ट्स सिटी भूमि घोटाले की सीबीआई जांच के आदेश दिए

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा स्पोर्ट्स सिटी परियोजना के आवंटन और विकास में गंभीर अनियमितताओं को उजागर किया है। जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने M/s Three C Green Developers Pvt. Ltd. & Ors. बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य (रिट – C संख्या 31823/2019) मामले में यह निर्णय सुनाया। कोर्ट ने इस परियोजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, भूमि उपयोग नियमों के उल्लंघन और धोखाधड़ी का उल्लेख किया, जिससे राज्य को ₹9,000 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ।

मामले की पृष्ठभूमि

नोएडा प्राधिकरण ने 2011 में स्पोर्ट्स सिटी योजना के तहत M/s Three C Green Developers Pvt. Ltd. के नेतृत्व में एक समूह को सेक्टर 78, 79 और 150 में 7,27,500 वर्ग मीटर भूमि आवंटित की थी। इस परियोजना को विश्वस्तरीय खेल सुविधाओं के लिए विकसित किया जाना था, जिसमें 70% भूमि गोल्फ कोर्स, स्टेडियम और अन्य खेल सुविधाओं के लिए आरक्षित थी। लेकिन हाईकोर्ट ने पाया कि डेवलपर्स ने खेल सुविधाओं के बजाय आवासीय और व्यावसायिक परियोजनाओं को प्राथमिकता दी, जो योजना की शर्तों का उल्लंघन था।

कानूनी मुद्दे

  1. धोखाधड़ी और गलत जानकारी: कोर्ट ने पाया कि नोएडा प्राधिकरण ने ऐसे संस्थाओं को भूमि आवंटित की, जो पात्रता मानकों पर खरी नहीं उतरती थीं। बाद में इन संस्थाओं ने भूमि को अपनी सहायक कंपनियों को हस्तांतरित कर दिया, जो मूल पट्टे की शर्तों का उल्लंघन था।
  2. कंपनी संरचना में हेरफेर: कोर्ट ने Three C Green Developers Pvt. Ltd. और उसकी सहायक कंपनियों के निदेशकों पर कानूनी दायित्वों से बचने के लिए जटिल कंपनी संरचनाओं का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया।
  3. सीबीआई जांच और सरकारी नुकसान: अदालत ने नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि कम कीमत पर भूमि आवंटन और अवैध हस्तांतरण से ₹9,000 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ।
  4. खेल सुविधाओं का विकास न होना: कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि डेवलपर्स ने अनुबंधित खेल सुविधाओं को विकसित नहीं किया और आक्रामक रूप से आवासीय इकाइयों को बेचा।
  5. नोएडा प्राधिकरण की निष्क्रियता: अदालत ने नोएडा प्राधिकरण की भूमिका की जांच करते हुए पूछा कि उसने पट्टा शर्तों को लागू करने और परियोजना की निगरानी में लापरवाही क्यों बरती।
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कोर्ट की प्रमुख टिप्पणियां

  • “यह पूरी परियोजना एक संगठित घोटाला थी, जहां सरकारी अधिकारियों और डेवलपर्स ने मिलकर राज्य और जनता को ठगा।”
  • “डेवलपर्स की मंशा कभी खेल सुविधाएं बनाने की नहीं थी; उन्होंने केवल आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियों की बिक्री को प्राथमिकता दी।”
  • “यह मामला वित्तीय धोखाधड़ी और कर्तव्य की अवहेलना के लिए सीबीआई द्वारा व्यापक जांच की मांग करता है।”

कोर्ट का निर्णय

  1. सीबीआई जांच के आदेश: कोर्ट ने सीबीआई को नोएडा प्राधिकरण अधिकारियों और निजी डेवलपर्स की भूमिका की विस्तृत जांच करने का निर्देश दिया।
  2. पट्टों की रद्दीकरण: फर्जी सब-लीज को रद्द करने और अनियमितताओं में शामिल लोगों पर सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया।
  3. बकाया वसूली: नोएडा प्राधिकरण को डेवलपर्स और सब-लीज़ धारकों से लंबित बकाया, दंड और स्थानांतरण शुल्क की वसूली करने का निर्देश दिया गया।
  4. नोएडा अधिकारियों की जवाबदेही: कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण के उन अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश दिया, जिन्होंने इस घोटाले को बढ़ावा दिया।
  5. कंपनी दिवालियापन की समीक्षा: राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) को Three C Green Developers Pvt. Ltd. और उसकी संबद्ध कंपनियों के दिवालियापन मामलों की समीक्षा करने की अनुमति दी, ताकि कंपनियां दिवालियापन कानूनों का दुरुपयोग कर अपने दायित्वों से बच न सकें।
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वकील

  • याचिकाकर्ताओं की ओर से: वरिष्ठ अधिवक्ता संजय कुमार राय, अधिवक्ता मोनिका वैश और कौशलेंद्र नाथ सिंह
  • प्रतिवादियों की ओर से: वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष गोयल और उत्तर प्रदेश राज्य व नोएडा प्राधिकरण के मुख्य स्थायी अधिवक्ता (C.S.C.)।

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