इलाहाबाद हाईकोर्ट ने करणी सेना के सदस्य ओकेंद्र सिंह राणा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। यह रोक आगरा में समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन के आवास पर कथित हमले से जुड़े दो एफआईआर में लगाई गई है। यह हमला उस बयान के बाद हुआ था, जिसमें सांसद ने 16वीं सदी के राजपूत राजा राणा सांगा को लेकर संसद में एक टिप्पणी की थी।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति हरवीर सिंह की खंडपीठ ने 19 जून को पारित अपने अंतरिम आदेश में कहा कि राणा को फिलहाल गिरफ्तार न किया जाए, बशर्ते वह जांच में पूरा सहयोग करें। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि जांच के दौरान राणा के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य सामने आता है, तो जांच अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के Arnesh Kumar बनाम बिहार राज्य मामले में जारी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर सकते हैं।
यह कथित हमला 27 मार्च को हुआ था, जब सांसद सुमन ने संसद में कहा था कि राणा सांगा ने मुगल सम्राट बाबर को भारत बुलाकर इब्राहिम लोदी से युद्ध करने का निमंत्रण दिया था। इस बयान पर अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा और करणी सेना समेत कई राजपूत संगठनों ने तीव्र आपत्ति जताई थी और इसे राजपूत इतिहास का अपमान बताया था।

हमले के बाद, पहली एफआईआर सांसद के बेटे और पूर्व विधायक रंधीर सुमन द्वारा आगरा के हरिपर्वत थाने में दर्ज कराई गई थी। दूसरी एफआईआर 1 जून को एक सब-इंस्पेक्टर द्वारा दर्ज कराई गई, जो सांसद की सुरक्षा में तैनात थे।
राणा ने इन दोनों एफआईआर के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गिरफ्तारी से संरक्षण की मांग की थी। उनके वकील का तर्क था कि राणा का नाम प्रारंभिक शिकायतों में नहीं था और उन्हें जांच के दौरान गलत तरीके से फंसाया गया है।
कोर्ट ने पहले सूचनाकर्ता को नोटिस जारी करते हुए मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद तय की है। हालांकि, गिरफ्तारी पर रोक राणा के जांच में पूर्ण सहयोग पर निर्भर रहेगी।