मुरादाबाद मॉब लिंचिंग: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुरादाबाद में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर की गई हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट के 2018 के दिशा-निर्देशों के अनुपालन में तीन सप्ताह के भीतर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

यह मामला दिसंबर 2024 में मुरादाबाद जिले में गौहत्या के संदेह में 37 वर्षीय शाहिदीन की भीड़ द्वारा हत्या से जुड़ा है। शाहिदीन के भाई द्वारा दाखिल याचिका पर न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति अवनीश सक्सेना की खंडपीठ सुनवाई कर रही थी। याचिका में विशेष जांच दल (SIT) से जांच कराए जाने और मृतक के परिवार को ₹50 लाख का मुआवजा देने की मांग की गई है।

अदालत ने टिप्पणी की कि उत्तर प्रदेश सरकार ने तेहसीन एस. पूनावाला बनाम भारत सरकार (2018) मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी अनिवार्य दिशा-निर्देशों का पालन करने संबंधी कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इन दिशा-निर्देशों में शामिल हैं:

Video thumbnail
  • प्राथमिकी दर्ज करने में तत्परता
  • नोडल अधिकारी की नियुक्ति
  • समयबद्ध चार्जशीट दाखिल करना
  • पीड़ित को मुआवजा
  • लापरवाह अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई
READ ALSO  हिरासत में मौत के अभियोग के बाद बठिंडा के अधिकारियों ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अपील की

कोर्ट ने बताया कि अब तक केवल जांच अधिकारी ने प्रतिवाद हलफनामा दाखिल किया है और राज्य सरकार की ओर से कोई ठोस जवाब दाखिल नहीं किया गया। इस पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने तीन सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आलोक में बेहतर हलफनामा दाखिल करने को कहा। अगली सुनवाई की तारीख 5 अगस्त 2025 तय की गई है।

कोर्ट ने यह भी पाया कि एफआईआर में गंभीर त्रुटि है। यह धारा 103 बीएनएस (भारतीय दंड संहिता) के तहत दर्ज होनी चाहिए थी, लेकिन अस्पष्टता के साथ उसी धारा का उल्लेख करते हुए मामला दर्ज किया गया। अदालत ने अगले आदेश तक एफआईआर की जांच पर रोक लगा दी है।

याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने अब तक आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 357A के तहत भीड़ हत्या/मॉब वॉयलेंस मुआवजा योजना नहीं बनाई है, जो सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट और बाध्यकारी निर्देशों का घोर उल्लंघन है।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने सभी अदालतों, न्यायिक प्राधिकरणों, बोर्ड और अर्ध-न्यायिक प्राधिकरणों को आदेशों में अध्यक्षों या सदस्यों के नाम उल्लेखित करने के निर्देश दिए

याचिका में कोर्ट से यह भी अनुरोध किया गया कि:

  • घटना में लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई का निर्देश दिया जाए
  • केंद्र सरकार को भीड़ हिंसा और लिंचिंग के खिलाफ जन-जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया जाए, जिसमें इसके कानूनी परिणाम बताए जाएं

घटना 29-30 दिसंबर 2024 की रात की है जब शाहिदीन और कुछ अन्य को भीड़ ने गौहत्या के संदेह में पकड़ लिया। बाकी लोग किसी तरह भाग निकले, लेकिन शाहिदीन को भीड़ ने करीब एक घंटे तक बेरहमी से पीटा। वह अगले दिन इलाज के दौरान दम तोड़ बैठा।

READ ALSO  हाईकोर्ट ने मद्रास बार एसोसिएशन को ग़ैर-सदस्य को पानी देने से इनकार करने के लिए 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया

विरोधाभासी रूप से, मृतक शाहिदीन और उसके कथित साथियों पर ही मुरादाबाद पुलिस ने उत्तर प्रदेश गोवंश वध निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया, जिससे न्यायिक निष्पक्षता और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठे हैं।

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles