इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) को निर्देश दिया है कि वह बाबू राम एजुकेशन सोसाइटी द्वारा डिप्लोमा इन फार्मेसी कोर्स की स्वीकृति के लिए दायर आवेदन को वर्ष 2024–2025 के लिए प्राप्त अनापत्ति पत्र (Consent of Affiliation) को ध्यान में रखते हुए नियमानुसार प्रक्रिया में ले।
यह अंतरिम आदेश न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की एकल पीठ ने रिट याचिका संख्या 4171/2025 में पारित किया। याचिकाकर्ता संस्था की ओर से इसके सचिव श्री दिनेश चंद्र ने याचिका दाखिल की थी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रजत राजन सिंह, राज्य सरकार की ओर से अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता श्री पंकज श्रीवास्तव तथा फार्मेसी काउंसिल की ओर से अधिवक्ता श्री रवि सिंह उपस्थित हुए।
मामले की पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता संस्था, श्री बहुराम कॉलेज ऑफ फार्मेसी (जिला मैनपुरी), ने शैक्षणिक सत्र 2024–2025 के लिए परीक्षा नियामक प्राधिकारी से अनापत्ति पत्र प्राप्त किया था और इसके आधार पर 2025–2026 सत्र हेतु डिप्लोमा इन फार्मेसी कोर्स (60 सीटों) की PCI से स्वीकृति मांगी थी।
निरीक्षण के दौरान कुछ कमियों के कारण PCI ने मंजूरी देने से इनकार कर दिया। इसके खिलाफ संस्था ने PCI में अपील की, लेकिन अपील पर निर्णय न होने पर याचिकाकर्ता ने रिट याचिका संख्या 3348/2025 दाखिल की। 08 अप्रैल 2025 को हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि PCI यथाशीघ्र अपील पर निर्णय ले।
इसके अनुपालन में PCI ने 24 अप्रैल 2025 को अपील खारिज कर दी, यह कहते हुए कि प्रस्तुत अनापत्ति पत्र 2024–2025 के लिए था, जबकि आवेदन 2025–2026 सत्र के लिए किया गया था।
याचिकाकर्ता की दलीलें
अधिवक्ता रजत राजन सिंह ने तर्क दिया कि:
- 2024–2025 के लिए प्राप्त अनापत्ति पत्र न तो समाप्त हुआ है और न ही निरस्त किया गया है।
- संस्था नई है और जब तक कोर्स या संस्थान में कोई परिवर्तन नहीं होता, तब तक प्रत्येक वर्ष नया अनापत्ति पत्र लेना आवश्यक नहीं है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने रिट याचिका (सिविल) संख्या 95/2025 एवं निरादर याचिका संख्या 32/2025 में 09 और 22 मई 2025 को पारित आदेशों में शैक्षणिक स्वीकृति प्रक्रिया की समय-सीमा 31 अगस्त 2025 तक और अपील निर्णय की समय-सीमा 30 सितंबर 2025 तक बढ़ा दी है।
- इस प्रकार केवल तकनीकी आधार पर आवेदन को खारिज किया जाना न्यायोचित नहीं है।
प्रतिकविता पक्ष की दलीलें
फार्मेसी काउंसिल की ओर से अधिवक्ता रवि सिंह ने प्रस्तुत किया कि उनका एकमात्र संदेह यह है कि यदि 2024–2025 के अनापत्ति पत्र को मान लिया गया और बाद में राज्य परीक्षा प्राधिकरण परीक्षा आयोजित करने से इनकार कर दे, तो यह प्रशासनिक कठिनाई उत्पन्न कर सकता है।
हालाँकि न्यायालय द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या हर सत्र के लिए नया अनापत्ति पत्र आवश्यक होता है, अधिवक्ता पंकज श्रीवास्तव (राज्य सरकार) और रवि सिंह (PCI) दोनों ने स्वीकार किया कि केवल नई संस्था द्वारा नया कोर्स शुरू करने पर ही नया पत्र आवश्यक होता है।
अदालत का अवलोकन और आदेश
न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह ने कहा:
“यह निर्विवाद है कि याचिकाकर्ता एक नई संस्था है और इसे शैक्षणिक सत्र 2024–2025 के लिए अनापत्ति पत्र प्राप्त हुआ था जो अब तक निरस्त नहीं किया गया है, ऐसे में फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा दी गई अस्वीकृति का आधार प्रथम दृष्टया युक्तिसंगत प्रतीत नहीं होता।”
न्यायालय ने यह मानते हुए कि मामला विचारणीय है, PCI के दिनांक 24.04.2025 के अपील खारिज करने के आदेश पर स्थगन (stay) लगा दिया और PCI को जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
मामला अगली सुनवाई हेतु 9 जुलाई 2025 को सूचीबद्ध किया गया है।
मामले का विवरण:
मामला: बाबू राम एजुकेशन सोसाइटी, मैनपुरी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य
मामला संख्या: रिट-सी संख्या 4171/2025
आदेश तिथि: 29 मई 2025
पीठ: न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह
अधिवक्ता: रजत राजन सिंह (याचिकाकर्ता की ओर से), पंकज श्रीवास्तव (राज्य की ओर से), रवि सिंह (PCI की ओर से)