सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को निलंबित पंजाब पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) हर्चरण सिंह भुल्लर की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज दो एफआईआर में सीबीआई जांच पर रोक लगाने की मांग की थी। मामला कथित आय से अधिक संपत्ति से जुड़ा है।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जॉयमल्या बागची और न्यायमूर्ति विपुल एम पंचोली शामिल थे, ने कहा कि इसी तरह की राहत के लिए भुल्लर की याचिका पहले से ही पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में लंबित है। भुल्लर ने हाईकोर्ट के 4 दिसंबर के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें सीबीआई कार्यवाही पर अंतरिम रोक देने से इनकार करते हुए मामले की सुनवाई जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई थी।
सुनवाई के दौरान भुल्लर के वकील ने अंतरिम राहत पर शीघ्र निर्णय देने का आग्रह किया। इस पर मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने टिप्पणी की, “बेहतर होगा कि हम अपना मुंह न खोलें। हमसे कठोर टिप्पणियां न करवाएं।”
भुल्लर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने दलील दी कि हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत की प्रार्थना पर विचार किए बिना ही मामले को एक महीने के लिए टाल दिया, जो त्रुटिपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह ऐसा मामला है जिसमें सीबीआई ने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (डीएसपीई) अधिनियम का उल्लंघन करते हुए अधिकार क्षेत्र ग्रहण किया है, क्योंकि पंजाब सरकार पहले ही सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस ले चुकी है।
चौधरी ने कहा, “सीबीआई ने धारा 6 डीएसपीई अधिनियम को दरकिनार करते हुए चुपचाप पंजाब में प्रवेश किया है।” उन्होंने यह भी कहा कि हाईकोर्ट ने अंतरिम राहत न देने के लिए कोई ठोस कारण नहीं बताया।
सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि भुल्लर को नियमित जमानत पहले ही नहीं दी जा चुकी है।
पीठ ने कहा कि वह हाईकोर्ट में लंबित कार्यवाही में हस्तक्षेप के लिए इच्छुक नहीं है और याचिका खारिज करने के पक्ष में है। अदालत का रुख भांपते हुए भुल्लर के वकील ने याचिका वापस लेने और हाईकोर्ट में उपलब्ध वैकल्पिक उपाय अपनाने की अनुमति मांगी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका निस्तारित कर दी।
गौरतलब है कि सीबीआई ने 16 अक्टूबर को भुल्लर को एक अन्य व्यक्ति के साथ रिश्वतखोरी से जुड़े एक भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार किया था, जिसमें 8 लाख रुपये की रिश्वत का आरोप है। एजेंसी ने दावा किया था कि भुल्लर के आवास पर छापेमारी के दौरान लगभग 5 करोड़ रुपये नकद, 1.50 किलोग्राम आभूषण, अचल संपत्तियों से जुड़े दस्तावेज, दो लग्जरी वाहनों की चाबियां, 22 लग्जरी घड़ियां, लॉकर की चाबियां, करीब 40 लीटर आयातित शराब और हथियार — जिनमें डबल बैरल बंदूक, पिस्तौल, रिवॉल्वर और एयरगन तथा गोला-बारूद शामिल हैं — बरामद किए गए।
सीबीआई के अनुसार, भुल्लर को मोहाली स्थित उनके कार्यालय से हिरासत में लिया गया था। यह कार्रवाई फतेहगढ़ साहिब जिले के मंडी गोबिंदगढ़ के एक कबाड़ी की शिकायत पर की गई थी, जिसने आरोप लगाया था कि 2023 की एक एफआईआर को “निपटाने” के लिए भुल्लर उससे हर महीने भुगतान की मांग कर रहे थे।
भुल्लर को नवंबर 2024 में रोपड़ रेंज का डीआईजी नियुक्त किया गया था, जिसमें मोहाली, रूपनगर और फतेहगढ़ साहिब जिले शामिल हैं। वह पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक एम एस भुल्लर के पुत्र हैं।
अपने करियर के दौरान भुल्लर डीआईजी (पटियाला रेंज), विजिलेंस ब्यूरो में संयुक्त निदेशक और जगराओं, मोहाली, संगरूर, फतेहगढ़ साहिब, खन्ना, होशियारपुर और गुरदासपुर में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर रह चुके हैं। उन्होंने शिरोमणि अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ 2021 के ड्रग मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल का भी नेतृत्व किया था और पंजाब सरकार के नशा विरोधी अभियान ‘युद्ध नशियां विरुद्ध’ से भी जुड़े रहे हैं।

