BNSS के तहत तलाशी-जब्ती की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग न करने पर MP हाईकोर्ट नाराज़, गृह विभाग के प्रमुख सचिव तलब

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने तलाशी और जब्ती की कार्यवाही के दौरान भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के प्रावधानों का पालन न किए जाने पर कड़ी नाराज़गी जताई है और राज्य के प्रमुख सचिव (गृह विभाग) को तलब किया है। अदालत ने उनसे यह बताने को कहा है कि इन प्रावधानों को लागू करने के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।

इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति सुभोध अभ्यंकर ने यह टिप्पणी 9 दिसंबर को उस मामले की सुनवाई के दौरान की, जिसमें राजस्थान के एक 18 वर्षीय युवक को मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के मल्हारगढ़ थाना क्षेत्र में 2.71 किलोग्राम अफीम की कथित तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाद में हाईकोर्ट ने उसे अंतरिम जमानत दे दी थी।

अदालत ने कहा कि BNSS की धारा 105 और 185 के तहत तलाशी और जब्ती की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य किए जाने के बावजूद, राज्य के अधिकारियों ने इन प्रावधानों को “सुविधानुसार भुला दिया है”।

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अदालत ने कहा:

“उपरोक्त प्रावधान, जो पहली बार BNSS में लाए गए हैं, यह दर्शाते हैं कि विधायिका ने तलाशी और जब्ती की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की आवश्यकता को ध्यान में रखा है। हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य के अधिकारियों द्वारा इन प्रावधानों को सुविधानुसार भुला दिया गया है।”

इन परिस्थितियों में हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव, गृह विभाग को निर्देश दिया कि वे अदालत को यह जानकारी दें कि BNSS के इन प्रावधानों को लागू करने के लिए राज्य सरकार ने क्या कदम उठाए हैं।

न्यायालय ने यह भी पूछा कि क्या राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश पुलिस के लिए बॉडी कैमरा उपलब्ध कराने पर कोई विचार किया है।

अदालत ने स्पष्ट किया कि अगले सुनवाई दिनांक 12 जनवरी को प्रमुख सचिव (गृह) को व्यक्तिगत रूप से या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होना होगा।

“प्रमुख सचिव, गृह विभाग, अगली सुनवाई तिथि को व्यक्तिगत रूप से अथवा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस न्यायालय के समक्ष उपस्थित होंगे,” अदालत ने कहा।

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यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाईकोर्ट द्वारा संज्ञान लेने के बाद छह पुलिसकर्मियों, जिनमें संबंधित थाने के प्रभारी अधिकारी भी शामिल हैं, को जांच प्रक्रिया में स्थापित नियमों का पालन न करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया।

इससे पहले, 5 दिसंबर को हाईकोर्ट ने NDPS अधिनियम के तहत दर्ज मामले में आरोपी को अंतरिम जमानत दी थी। आरोपी का आरोप है कि उसे 29 अगस्त की सुबह एक बस से अवैध रूप से हिरासत में लिया गया, लेकिन पुलिस ने उसे शाम 5.15 बजे गिरफ्तार दिखाया।

आरोपी की ओर से पेश अधिवक्ता हिमांशु ठाकुर ने अदालत को बताया कि उनका मुवक्किल मंदसौर से राजस्थान के प्रतापगढ़ जा रहा था। उन्होंने कहा कि आरोपी एक होनहार छात्र है और उसने 12वीं की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है।

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ठाकुर ने यह भी बताया कि आरोपी ने बस के CCTV फुटेज अदालत में पेश किए हैं, जिन्हें हाईकोर्ट ने संज्ञान में लिया है। फुटेज में तीन सादे कपड़ों में व्यक्ति युवक को बस से नीचे ले जाते हुए दिखाई देते हैं।

गौरतलब है कि मंदसौर जिला राजस्थान की सीमा से सटा हुआ है और यह क्षेत्र अफीम की खेती के लिए जाना जाता है। यहां मादक पदार्थों के अवैध उत्पादन, भंडारण, व्यापार और तस्करी से जुड़े मामले अक्सर सामने आते रहते हैं।

उल्लेखनीय है कि BNSS, जिसने पुराने दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) का स्थान लिया है, जांच और विचारण की विभिन्न अवस्थाओं के लिए निश्चित समयसीमा तय करता है और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से तलाशी और जब्ती की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग को अनिवार्य बनाता है।

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