अदालती आदेशों के अनुपालन में लापरवाही और न्यायिक प्रक्रिया के प्रति उदासीन रवैया अपनाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सख्त रुख अख्तियार किया है। गुरुवार को एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मनीष कुमार की एकल पीठ ने बिजनौर की जिलाधिकारी (डीएम) जसजीत कौर के खिलाफ जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया है।
अदालत ने यह कार्रवाई तब की, जब नोटिस जारी होने के बावजूद डीएम की ओर से न तो कोई जवाब दाखिल किया गया और न ही राज्य सरकार के वकीलों को मामले में कोई निर्देश (Instructions) दिए गए।
क्या है पूरा मामला?
यह आदेश विक्रम सिंह द्वारा दायर एक अवमानना याचिका (Contempt Petition) पर सुनवाई के दौरान आया। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि उसने अपनी जाति के निर्धारण (Caste Determination) के लिए एक आवेदन दिया था। इस संबंध में रिट कोर्ट ने 22 अप्रैल, 2025 को एक आदेश पारित किया था।
उस आदेश में हाईकोर्ट ने ‘बिजनौर जिला स्तरीय जाति छानबीन समिति’ को निर्देश दिया था कि वह याचिकाकर्ता के आवेदन पर तीन महीने के भीतर निर्णय ले। गौरतलब है कि जिले के जिलाधिकारी ही इस समिति के अध्यक्ष (Chairman) होते हैं।
जानबूझकर आदेश की अवहेलना का आरोप
याचिकाकर्ता की दलील थी कि हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश की प्रति जिलाधिकारी को उपलब्ध करा दी गई थी। इसके बावजूद, तय की गई तीन महीने की समय सीमा बीत जाने के बाद भी समिति ने उनके आवेदन पर कोई निर्णय नहीं लिया। याचिकाकर्ता ने इसे अदालत के आदेश की जानबूझकर की गई अवहेलना बताया और दोषी अधिकारी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की मांग की।
सरकारी वकील को नहीं मिला कोई निर्देश
गुरुवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के स्थायी अधिवक्ता (Standing Counsel) ने अदालत के समक्ष अपनी विवशता जाहिर की। उन्होंने पीठ को सूचित किया कि जिलाधिकारी ने अपना जवाब (Reply) दाखिल करने के लिए मुख्य स्थायी अधिवक्ता के कार्यालय से कोई संपर्क नहीं किया। इस वजह से डीएम की ओर से कोर्ट में कोई भी जवाब या हलफनामा दाखिल नहीं किया जा सका है।
कोर्ट का आदेश और अगली सुनवाई
अधिकारी के इस रवैये पर कड़ी नाराजगी जताते हुए हाईकोर्ट ने इसे अदालत के प्रति घोर उपेक्षा माना। न्यायमूर्ति मनीष कुमार ने बिजनौर की जिलाधिकारी जसजीत कौर के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर दिया।
अदालत ने बिजनौर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) को निर्देश दिया है कि वह इस वारंट का तामील (Execution) सुनिश्चित कराएं और अगली सुनवाई पर जिलाधिकारी की उपस्थिति सुनिश्चित करें। मामले की अगली सुनवाई 5 जनवरी को निर्धारित की गई है।




