सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI), प्रवर्तन निदेशालय (ED), उद्योगपति अनिल अंबानी और अन्य को नोटिस जारी करते हुए तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। यह नोटिस एक जनहित याचिका पर जारी किए गए हैं, जिसमें रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom), उसकी समूह कंपनियों और प्रमोटर से जुड़े कथित बड़े बैंकिंग और कॉरपोरेट घोटाले की अदालत-मॉनिटर जांच की मांग की गई है।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चन्द्रन की पीठ ने पूर्व केंद्रीय सचिव ई. ए. एस. शर्मा द्वारा दायर PIL पर वकील प्रशांत भूषण की दलीलें सुनने के बाद नोटिस जारी किए। अदालत ने सभी पक्षों से तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है और उसके बाद मामले की आगे की सुनवाई तय की है।
भूषण ने कहा कि जांच एजेंसियां बैंक अधिकारियों और बैंकों की कथित भूमिका की जांच ही नहीं कर रहीं, जबकि मामला “विशाल बैंकिंग धोखाधड़ी” का है। उन्होंने CBI और ED को यह निर्देश देने की मांग की कि वे बैंक अधिकारियों, ऑडिटरों और नियामकों की संभावित संलिप्तता पर अपनी-अपनी स्थिति रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करें।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “नोटिस जारी करें… तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करें।”
PIL में आरोप लगाया गया है कि अनिल अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस एडीए समूह की कई कंपनियों में सार्वजनिक धन के व्यवस्थित दुरुपयोग, फर्जी वित्तीय बयान तैयार करने और संस्थागत मिलीभगत के संकेत मिलते हैं। याचिका के अनुसार, विस्तृत फॉरेंसिक ऑडिट में गंभीर अनियमितताओं की ओर इशारा किए जाने के बावजूद जांच एजेंसियों ने जांच को बहुत सीमित दायरे में रखा है।
याचिका का कहना है कि CBI द्वारा 21 अगस्त को दर्ज की गई FIR और ED की संबंधित कार्यवाहियां कथित धोखाधड़ी के “सिर्फ एक छोटे हिस्से” को छूती हैं। शर्मा ने दलील दी कि बैंक अधिकारियों, ऑडिटरों और नियामक संस्थाओं की भूमिका की जांच न करना एक “गंभीर चूक” है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि धन के व्यवस्थित दुरुपयोग और फर्जीवाड़े के निष्कर्षों को बॉम्बे हाई कोर्ट के एक फैसले में पहले ही न्यायिक रूप से “मान्यता” मिल चुकी है।
अब मामले की आगे की सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी, जब सभी पक्ष अपने जवाब दाखिल कर देंगे।




