सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर रौशन सिन्हा को राहत देते हुए उन्हें अग्रिम ज़मानत दे दी। सिन्हा पर आरोप है कि उन्होंने लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक बयान को गलत तरीके से पेश किया था।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने कहा कि सिन्हा की गिरफ्तारी आवश्यक नहीं है और जांच के लिए उनकी कस्टोडियल पूछताछ की कोई जरूरत नहीं है। अदालत ने तेलंगाना हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें सिन्हा को प्री-अरेस्ट बेल देने से इनकार किया गया था।
मामला 1 जुलाई 2024 को लोकसभा में राहुल गांधी के भाषण से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने कथित रूप से कहा था कि जो “खुद को हिंदू कहते हैं, वे लगातार हिंसा, नफरत और झूठ में लगे रहते हैं।” अगले दिन सिन्हा ने एक्स पर गांधी की एक तस्वीर पोस्ट करते हुए कैप्शन लिखा—“जो हिंदू हैं, वे हिंसक हैं — राहुल गांधी।”
इस पोस्ट के बाद ऑनलाइन विरोध बढ़ा और हैदराबाद के साइबरक्राइम पुलिस स्टेशन में एक कांग्रेस कार्यकर्ता ने शिकायत दर्ज कराई। इसके आधार पर सिन्हा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराओं के तहत जानबूझकर अपमान, झूठे बयान प्रकाशित करने और जालसाजी जैसे आरोपों में FIR दर्ज हुई।
सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि उनकी पोस्ट राजनीतिक टिप्पणी है, जो संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आती है। उनका कहना था कि FIR राजनीतिक उद्देश्य से उन्हें “परेशान और चुप कराने” के लिए दर्ज की गई।
अग्रिम ज़मानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच बिना गिरफ्तारी के भी आगे बढ़ सकती है।




