नई दिल्ली: दिल्ली की एक विशेष सीबीआई अदालत ने सोमवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, पुत्र तेजस्वी यादव और अन्य के खिलाफ दर्ज तथाकथित भूमि के बदले नौकरी घोटाला मामले में आरोप तय करने पर अपना आदेश 4 दिसंबर तक टाल दिया।
विशेष सीबीआई न्यायाधीश विशाल गोगने ने कहा कि अब अदालत अगली सुनवाई में यह तय करेगी कि अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हैं या नहीं।
इस मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव समेत कई अन्य लोगों के खिलाफ आरोपपत्र (चार्जशीट) दाखिल किया है। एजेंसी का आरोप है कि लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए (2004 से 2009 के बीच) पश्चिम मध्य रेलवे, जबलपुर में समूह-‘डी’ के पदों पर नियुक्तियाँ इस शर्त पर की गईं कि उम्मीदवार अपने या अपने परिवार के नाम से कुछ भूमि के टुकड़े यादव परिवार या उनके सहयोगियों के नाम हस्तांतरित करें।
सीबीआई का दावा है कि ये नियुक्तियाँ नियमों के विपरीत थीं और इसमें बेनामी संपत्ति सौदों का उपयोग किया गया, जिससे यह मामला आपराधिक साजिश और भ्रष्ट आचरण की श्रेणी में आता है।
मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक डी.पी. सिंह ने विस्तृत दलीलें पेश कीं, जबकि बचाव पक्ष ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह मामला राजनीतिक द्वेष से प्रेरित है और इसमें कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
अदालत अब 4 दिसंबर को अपना आदेश सुनाएगी, जिससे यह स्पष्ट होगा कि क्या लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के खिलाफ औपचारिक रूप से मुकदमा चलेगा या नहीं।




