मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने शाहडोल कलेक्टर पर ₹2 लाख का जुर्माना लगाया, एनएसए के दुरुपयोग पर कड़ी फटकार

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने शाहडोल कलेक्टर केदार सिंह पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गलत कार्रवाई करने के मामले में ₹2 लाख का जुर्माना लगाया है। अदालत ने आदेश दिया कि यह राशि कलेक्टर को अपनी जेब से अदा करनी होगी और इसे याचिकाकर्ता के पुत्र के खाते में जमा कराया जाए।

यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और न्यायमूर्ति ए.के. सिंह की खंडपीठ ने किसान हीरामणि वैश्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। हीरामणि ने शिकायत की थी कि उनके बेटे सुशांत वैश्य पर एनएसए की कार्रवाई बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किए की गई थी।

याचिका के अनुसार, 6 सितंबर को पुलिस अधीक्षक ने नीरजकांत द्विवेदी के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई की सिफारिश की थी, लेकिन 9 सितंबर को कलेक्टर ने गलती से सुशांत वैश्य के खिलाफ आदेश जारी कर दिया। सुशांत उस मामले में पहले ही लोक अदालत के माध्यम से समझौता कर चुका था, फिर भी उसे 14 महीने जेल में रहना पड़ा।

सुनवाई के दौरान कलेक्टर केदार सिंह ने स्वीकार किया कि एनएसए आदेश में गलती से सुशांत वैश्य का नाम दर्ज हो गया था। उनके वकील ने तर्क दिया कि दोनों मामलों की एक साथ सुनवाई होने के कारण यह “टाइपिंग एरर” हुई।

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हालांकि, अदालत ने इस दलील को अस्वीकार करते हुए कहा कि एनएसए कोई साधारण प्रावधान नहीं है जिसे प्रशासनिक गलती के रूप में इस्तेमाल किया जा सके। अदालत ने टिप्पणी की, “एनएसए का प्रयोग केवल उन्हीं मामलों में होना चाहिए, जहाँ व्यक्ति समाज और जनता में भय उत्पन्न करता हो। इसे किसी व्यक्ति के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।”

अदालत ने कलेक्टर को निर्देश दिया कि वे राज्य सरकार को भेजी गई एनएसए फाइल पेश करें, अन्यथा उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाए। साथ ही, मुख्य सचिव को कलेक्टर और अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया।

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अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया कि यह केवल टाइपिंग की गलती थी और संबंधित लिपिक को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

इस पर नाराजगी जताते हुए अदालत ने कहा कि कलेक्टर ने झूठा हलफनामा दाखिल किया है, जो अदालत की अवमानना के समान है। इसलिए कोर्ट ने उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया और उन्हें अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने को कहा।

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अदालत ने स्पष्ट किया कि एनएसए जैसी कठोर कानूनों का इस्तेमाल सोच-समझकर और कानूनी प्रक्रिया के अनुरूप होना चाहिए। किसी भी प्रकार की लापरवाही या मनमानी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और अधिकारी व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराए जाएंगे।

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