सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुराना ग्रुप के प्रबंध निदेशक विजयराज सुराना की उस याचिका पर गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) से जवाब मांगा है, जिसमें उन्होंने 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की कथित वित्तीय धोखाधड़ी के मामले में अपनी जमानत की शर्तों में ढील देने की मांग की है।
मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति विपुल एम. पंचोली भी शामिल थे, ने SFIO को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की। वरिष्ठ अधिवक्ता सी. यू. सिंह ने सुराना की ओर से पेश होकर जमानत शर्तों में कुछ राहत देने का आग्रह किया।
वहीं, SFIO के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि पहले आरोपी जमानत लेते हैं और बाद में उसी की शर्तों को कम करने की मांग करते हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने संक्षेप में कहा—“नोटिस जारी किया जाए, चार सप्ताह में जवाब दें।”
सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई को सुराना को जमानत दी थी। वे कंपनियों अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं के तहत एक बड़े वित्तीय घोटाले के मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं। उस समय अदालत ने कहा था कि “मुकदमे की शुरुआत से पहले लंबे समय तक हिरासत में रखना सजा के समान होगा, जबकि दोष सिद्ध नहीं हुआ है।”
अदालत ने सुराना की रिहाई विशेष न्यायाधीश (कंपनी मामलों के लिए) चेन्नई की संतुष्टि के अधीन करने के निर्देश दिए थे। जमानत की शर्तों में पासपोर्ट जमा कराना, बिना अनुमति देश से बाहर न जाना, गवाहों को प्रभावित न करना और मुकदमे की शीघ्र सुनवाई में सहयोग करना शामिल था। अदालत ने यह भी चेतावनी दी थी कि यदि अभियुक्त मुकदमे को टालने का प्रयास करते हैं, तो जमानत रद्द की जा सकती है।
यह मामला 28 मार्च 2019 को कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा आदेशित जांच से जुड़ा है, जिसके बाद 2023 में चेन्नई की विशेष अदालत में कंपनियों अधिनियम के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया। SFIO के अनुसार, सुराना ग्रुप पर विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थानों का लगभग ₹10,233 करोड़ बकाया है।
जांच में आरोप है कि समूह की कई कंपनियों ने भारी मात्रा में ऋण लिया और बाद में धन का दुरुपयोग एवं गलत वित्तीय प्रस्तुति की। चेन्नई की विशेष अदालत और सत्र न्यायालय दोनों ने पहले जमानत याचिका खारिज कर दी थी, यह कहते हुए कि धोखाधड़ी का पैमाना बहुत बड़ा है और जांच अभी जारी है।
सुप्रीम कोर्ट में SFIO ने भी जमानत का विरोध करते हुए कहा था कि यह “जनता के धन से जुड़ा विशाल आर्थिक अपराध” है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने यह ध्यान में रखा कि मुकदमे की सुनवाई अब तक शुरू नहीं हुई है, जबकि इसमें 90 आरोपी, 125 गवाह और भारी मात्रा में दस्तावेजी साक्ष्य शामिल हैं। ऐसे में मुकदमे के शीघ्र निपटारे की संभावना बहुत कम है।
अब सुप्रीम कोर्ट ने SFIO से जवाब तलब करते हुए सुराना की जमानत शर्तों में राहत की याचिका पर चार सप्ताह बाद सुनवाई तय की है।




