सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह आवारा कुत्तों के मामले में 7 नवम्बर को आदेश सुनाएगा, जब विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की ओर से दायर अनुपालन रिपोर्टों पर विचार किया जाएगा।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एन. वी. अंजारिया की तीन-न्यायाधीशों वाली विशेष पीठ ने नोट किया कि अदालत के निर्देशों के अनुपालन में अधिकांश राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिव अदालत में उपस्थित थे। अदालत ने केरल के मुख्य सचिव की व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट संबंधी याचिका स्वीकार कर ली, यह दर्ज करते हुए कि राज्य के एक प्रमुख सचिव अदालत में उपस्थित थे।
सुनवाई की शुरुआत में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि अधिकांश राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) नियमों के अनुपालन से संबंधित हलफनामे दाखिल कर दिए हैं।
पीठ ने कहा, “मामले को आदेश के लिए 7 नवम्बर को सूचीबद्ध किया जाए,” और स्पष्ट किया कि अब मुख्य सचिवों की व्यक्तिगत उपस्थिति आवश्यक नहीं होगी, जब तक कि कोई राज्य या केंद्रशासित प्रदेश अदालत के आदेशों के पालन में चूक न करे।
पिछली सुनवाई में, 27 अक्टूबर को, सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर नाराज़गी जताई थी कि कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने 22 अगस्त के आदेश के बावजूद अनुपालन हलफनामे दाखिल नहीं किए थे। उस आदेश में अदालत ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से यह जानकारी मांगी थी कि वे ABC नियमों के क्रियान्वयन के लिए क्या कदम उठा रहे हैं।
अदालत ने कहा था कि ऐसे मामलों में लगातार घटनाएं हो रही हैं और इससे देश की छवि “विदेशों में खराब दिख रही है।” अदालत ने उन सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को तलब किया था जिन्होंने अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं की थी (पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर, जिन्होंने अनुपालन किया था)।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की परिधि दिल्ली-एनसीआर से आगे बढ़ाकर पूरे देश तक विस्तारित कर दी है और सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को पक्षकार बनाया है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया था कि सभी नगर निकाय अपने-अपने क्षेत्रों में उपलब्ध संसाधनों — जैसे कुत्तों के शेल्टर, पशु चिकित्सक, कुत्ते पकड़ने वाले प्रशिक्षित कर्मचारी, विशेष वाहन और पिंजरे — का विवरण देते हुए हलफनामा दाखिल करें।
यह मामला सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वप्रेरणा से 28 जुलाई को शुरू किया गया था, जब मीडिया रिपोर्टों में आवारा कुत्तों के काटने और रेबीज़ से होने वाली मौतों की घटनाओं को उजागर किया गया था, खासकर बच्चों के मामलों में।
पीठ ने अब यह भी निर्देश दिया है कि इस मामले में एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया (AWBI) को पक्षकार बनाया जाए।




