न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने से इंकार पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार और हाईकोर्ट से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मध्यप्रदेश सरकार और हाईकोर्ट रजिस्ट्री से जवाब मांगा है, जिस याचिका में राज्य के न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 61 वर्ष करने से इनकार को चुनौती दी गई है।

मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन भी शामिल थे, ने मध्यप्रदेश जजेस एसोसिएशन की याचिका पर नोटिस जारी किए। एसोसिएशन ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के उस प्रशासनिक निर्णय को चुनौती दी है, जिसमें सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने से इनकार किया गया, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इसी वर्ष 26 मई को अपने आदेश में यह स्पष्ट किया था कि इसमें “कोई कानूनी बाधा नहीं” है।

पृष्ठभूमि

इससे पहले शीर्ष अदालत ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट को निर्देश दिया था कि वह प्रशासनिक स्तर पर दो महीने के भीतर इस मुद्दे पर निर्णय ले, क्योंकि न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु 61 वर्ष करने में कोई कानूनी रुकावट नहीं है — जैसा कि तेलंगाना में पहले ही किया जा चुका है।

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हालांकि, एसोसिएशन का कहना है कि हाईकोर्ट ने 22 अगस्त 2025 को अपने निर्णय की जानकारी केवल मौखिक रूप से रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से दी और अब तक उस प्रशासनिक आदेश की प्रति उपलब्ध नहीं कराई है। हाईकोर्ट ने कथित रूप से यह भी कहा कि फिलहाल इस मांग को “स्थगित या अस्वीकार” किया गया है क्योंकि इसकी अभी कोई आवश्यकता नहीं है।

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याचिका में कहा गया, “माननीय मध्यप्रदेश हाईकोर्ट द्वारा वैध अपेक्षा के इस मामले में अपनाया गया नकारात्मक रवैया अपने ही संरक्षक न्यायालय द्वारा अधीनस्थ न्यायपालिका के प्रति अपनाए गए सौतेले व्यवहार का स्पष्ट उदाहरण है।”

याचिकाकर्ता की दलील

एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत एस. भस्मे ने दलील दी कि वे केवल तेलंगाना के समान न्यायिक अधिकारियों को समानता देने की मांग कर रहे हैं, जहां सेवानिवृत्ति आयु पहले ही 61 वर्ष की जा चुकी है। उन्होंने कहा, “हम 62 वर्ष की मांग नहीं कर रहे, केवल 61 वर्ष तक बढ़ाने की मांग है, जैसा कि तेलंगाना में अनुमति दी गई।”

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सुप्रीम कोर्ट की पूर्व टिप्पणी

शीर्ष अदालत ने पहले ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन मामले का हवाला देते हुए कहा था कि तेलंगाना में जिला न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति आयु 61 वर्ष करने में कोई कानूनी बाधा नहीं है। उस आदेश का संदर्भ लेते हुए मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा था, “इस दृष्टिकोण से हमें यह प्रतीत होता है कि मध्यप्रदेश राज्य में कार्यरत न्यायिक अधिकारियों की सेवानिवृत्ति आयु 61 वर्ष करने में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए।”

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सुप्रीम कोर्ट ने अब मध्यप्रदेश हाईकोर्ट और राज्य सरकार से जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।

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