मुस्लिम समुदाय को ‘बदनाम करने वाले’ वीडियो को हटाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई, जिसमें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) और भाजपा असम प्रदेश को एक ऐसा वीडियो हटाने का निर्देश देने की मांग की गई है, जो कथित रूप से मुस्लिम समुदाय को “खुले तौर पर निशाना बनाता है, बदनाम करता है और राक्षसी रूप में पेश करता है।”

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने इस आवेदन पर नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को तय की।

एडवोकेट लज़फीर अहमद के माध्यम से दायर आवेदन में कहा गया है कि भाजपा असम इकाई ने 15 सितंबर 2025 को अपने आधिकारिक X हैंडल पर एक वीडियो प्रसारित किया, जिसमें यह “भ्रामक और झूठा नैरेटिव” दिखाया गया कि यदि भाजपा सत्ता में नहीं रही तो मुसलमान असम पर कब्जा कर लेंगे।

आवेदन में कहा गया कि वीडियो में मुस्लिम पहचान वाले लोगों को (टोपी और बुर्का पहने हुए) दिखाया गया है, जो कथित तौर पर सत्ता परिवर्तन के बाद चाय बागानों, गुवाहाटी एयरपोर्ट और गुवाहाटी शहर पर कब्जा कर लेते हैं।

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“यह प्रस्तुत किया जाता है कि सत्ताधारी दल के रूप में भाजपा-असम भारतीय संविधान के तहत बाध्य है कि वह संविधान की मूल संरचना में निहित धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को बनाए रखे। परंतु इसके आधिकारिक ट्विटर हैंडल से प्रसारित वीडियो खुले तौर पर मुस्लिमों को निशाना बनाता है, बदनाम करता है और राक्षसी रूप में प्रस्तुत करता है,” आवेदन में कहा गया है।

याचिका में तर्क दिया गया कि राज्य सरकार सभी समुदायों की संरक्षक होती है और संविधान उसे धर्म, जाति, भाषा, लिंग या नस्ल के आधार पर भेदभाव करने से स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित करता है।

“इस प्रकार एक निर्वाचित सरकार पर निष्पक्ष, न्यायसंगत और धर्मनिरपेक्ष बने रहने का दायित्व और भी अधिक होता है,” याचिका में कहा गया।

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आवेदन के अनुसार, भाजपा असम प्रदेश के आधिकारिक X हैंडल पर साझा किए गए इस वीडियो को 18 सितंबर 2025 तक 4.6 मिलियन (46 लाख) से अधिक बार देखा गया, 6,100 बार रीपोस्ट किया गया और 19,000 बार लाइक किया गया।

याचिका में कहा गया कि इस वीडियो को तुरंत हटाया जाना आवश्यक है ताकि सांप्रदायिक वैमनस्य, अशांति और नफरत के और प्रसार को रोका जा सके।

याचिकाकर्ता ने X इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और भाजपा असम प्रदेश को निर्देश देने की मांग की है कि वीडियो को प्लेटफॉर्म से हटाया जाए।

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यह आवेदन सुप्रीम कोर्ट में लंबित उस व्यापक मामले में दायर किया गया है, जिसमें घृणास्पद भाषणों (Hate Speech) से संबंधित मुद्दों की सुनवाई हो रही है।

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