मद्रास हाईकोर्ट ने सोमवार को तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस राज्य के जल संसाधन मंत्री दुरईमुरुगन द्वारा दायर उस याचिका पर जारी किया गया है, जिसमें उन्होंने भ्रष्टाचार मामलों की सुनवाई करने वाले विशेष न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी है। यह मामला उनके खिलाफ दर्ज ₹1.40 करोड़ की आय से अधिक संपत्ति के मामले से जुड़ा है।
न्यायमूर्ति वी. लक्ष्मीनारायणन ने याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा। मामले की अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को निर्धारित की गई है।
विजिलेंस और भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (DVAC) ने 2011 में दुरईमुरुगन और उनकी पत्नी डी. शांथाकुमारी के खिलाफ disproportionate assets (आय से अधिक संपत्ति) का मामला दर्ज किया था। यह मामला 2006 से 2011 के बीच का है, जब दुरईमुरुगन डीएमके सरकार में लोक निर्माण विभाग (PWD) मंत्री थे।

आरोप है कि इस अवधि में उन्होंने और उनकी पत्नी ने ₹1.40 करोड़ मूल्य की संपत्ति अर्जित की, जो उनकी ज्ञात आय के स्रोतों से असंगत थी। मामला एआईएडीएमके सरकार के समय दर्ज किया गया था।
2017 में वेल्लोर की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) अदालत ने दुरईमुरुगन और उनकी पत्नी को इस मामले से बरी कर दिया था।
DVAC ने इस डिस्चार्ज आदेश को चुनौती देते हुए मद्रास हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की। इस बीच, राज्य सरकार द्वारा जारी एक शासनादेश (G.O.) के आधार पर मामला चेन्नई की विशेष भ्रष्टाचार निवारण अदालत को सौंप दिया गया।
न्यायमूर्ति पी. वेल्मुरुगन ने पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए बरी करने के आदेश को निरस्त कर दिया और निचली अदालत को कार्यवाही शीघ्र पूरी करने का निर्देश दिया।