सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI), केंद्र सरकार और अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। यह कार्रवाई एक याचिका पर की गई है जिसमें नागरिकों को उनकी सक्रिय, निष्क्रिय, सुप्त या अनुपयोगी वित्तीय संपत्तियों की जानकारी एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए केंद्रीकृत पोर्टल स्थापित करने की मांग की गई है।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने आकाश गोयल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए संबंधित पक्षों से जवाब मांगा।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि वर्तमान में लगभग ₹3.5 लाख करोड़ रुपये की राशि वैध निवेशकों या जमाकर्ताओं को वापस नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि देश में ऐसा कोई एकीकृत तंत्र नहीं है जिससे नागरिक या उनके परिजन विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थानों में फैली अपनी संपत्तियों की जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकें।

वकील ने यह भी बताया कि उन्होंने पहले इस मुद्दे को एक हाईकोर्ट में उठाया था। हाईकोर्ट ने मामले की महत्ता को स्वीकार करते हुए कहा कि यह महत्वपूर्ण विषय है, लेकिन इसमें न्यायिक दखल की बजाय संबंधित प्राधिकरणों को ही कदम उठाने की आवश्यकता है।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से निम्नलिखित दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है:
- एक केंद्रीकृत पोर्टल की स्थापना, जिसके माध्यम से व्यक्ति e-KYC प्रक्रिया पूरी करने के बाद अपने सभी वित्तीय संपत्तियों की सूची देख सकें — चाहे वे सक्रिय हों, निष्क्रिय, सुप्त या अनुपयोगी।
- सभी नियामित संस्थाओं को यह अनिवार्य करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करना कि वे प्रत्येक वित्तीय संपत्ति के लिए नामांकन (Nominee) की न्यूनतम जानकारी दर्ज करें।
- गृह मंत्रालय और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के साथ समन्वय कर एक ऐसा तंत्र विकसित करना जिससे खाता धारक की मृत्यु की सूचना नियामित संस्थाओं को मिल सके और नामांकन न होने की स्थिति में परिजनों से समय पर संपर्क किया जा सके।
पीठ ने RBI, SEBI, केंद्र सरकार और अन्य पक्षों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है और मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की है।