दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन की जमानत याचिका खारिज कर दी। यह याचिका वर्ष 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान खुफिया ब्यूरो (आईबी) के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या से जुड़ी थी।
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने आदेश सुनाते हुए कहा, “आवेदन खारिज किया जाता है।”
दिल्ली पुलिस ने हुसैन की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए इसे “चौंकाने वाला मामला” बताया और कहा कि इसमें एक युवा खुफिया अधिकारी की बर्बर हत्या हुई। अभियोजन के अनुसार, अंकित शर्मा ने हिंसा रोकने की कोशिश की थी और आरोपियों से कानून हाथ में न लेने का अनुरोध किया था। इसी दौरान उन्हें पकड़कर घसीटा गया और 51 बार चाकू से गोदा गया। बाद में उनका शव खजूरी खास नाले से बरामद हुआ।

पुलिस ने बताया कि अंकित शर्मा का शव 26 फरवरी 2020 को मिला था। इसके एक दिन पहले 25 फरवरी को उनके पिता रविंदर कुमार ने उनके लापता होने की शिकायत दर्ज कराई थी। स्थानीय लोगों ने परिवार को सूचना दी थी कि उनका शव चांद बाग पुलिया के पास नाले में फेंका गया है।
हुसैन के वकील ने तर्क दिया कि वह पहले ही पांच साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं और ट्रायल कोर्ट के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद मुकदमे का निपटारा जल्द संभव नहीं दिख रहा। ट्रायल कोर्ट ने भी 12 मार्च को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
पुलिस का आरोप है कि ताहिर हुसैन चार अन्य आरोपियों के साथ मिलकर हिंसक भीड़ का हिस्सा थे, जिसने दंगे और आगजनी की और इसी दौरान अंकित शर्मा की मौत हो गई।