केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मलाबार देवस्वम बोर्ड (एमडीबी) के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें बोर्ड के अंतर्गत आने वाले मंदिर अधिकारियों को ग्लोबल अयप्पा संगम में भाग लेने पर यात्रा और भोजन खर्च मंदिर की निधियों से वहन करने की अनुमति दी गई थी।
जस्टिस राजा विजयराघवन और जस्टिस के. वी. जयरामकुमार की खंडपीठ ने इस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार, मलाबार देवस्वम आयुक्त और बोर्ड को नोटिस जारी कर उनका पक्ष मांगा है।
हाईकोर्ट का यह अंतरिम आदेश रामचंद्रन ए. वी. की याचिका पर आया है, जो कासरगोड जिले के नीलेश्वरम स्थित किनावूर श्री कीरथेश्वर मंदिर में क्लर्क के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने देवस्वम आयुक्त के 18 सितंबर के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कासरगोड, तलिपरंबा, तालीश्शेरी, मंझेरी, पेरिंथलमन्ना, गुरुवायूर, ओट्टापालम और पलक्कड़ के डिवीजनल इंस्पेक्टरों तथा मंदिर कार्यकारी अधिकारियों को कार्यक्रम में भाग लेने के लिए यात्रा, भोजन और वाहन व्यय मंदिर निधियों से वहन करने की अनुमति दी गई थी।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि मंदिर की निधि देवता और श्रद्धालुओं की संपत्ति है, जिस पर राज्य केवल एक वैधानिक न्यासी के रूप में संरक्षक की भूमिका निभाता है। ऐसे धन का अन्य प्रयोजनों के लिए उपयोग करना “अवैध, मनमाना, अनुचित और श्रद्धालुओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन” है।
उन्होंने यह भी बताया कि बोर्ड के अधीन कई मंदिर पहले से ही गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं और कर्मचारियों व स्टाफ के वेतन तथा अन्य वैधानिक लाभों के भुगतान में देरी हो रही है। ऐसे हालात में यह निर्णय अनुचित है।
याचिका में मांग की गई है कि—
- देवस्वम आयुक्त के 18 सितंबर के आदेश को रद्द किया जाए, और
- अयप्पा सम्मेलन में भाग लेने वाले अधिकारी अपने निजी खर्च पर जाएं।
ग्लोबल अयप्पा संगम का आयोजन 20 सितंबर को पंपा में त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (टीडीबी) द्वारा अपने 75वें स्थापना वर्ष के उपलक्ष्य में, केरल सरकार के सहयोग से किया जा रहा है।