दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को संकेत दिया कि वह फिल्म निर्माता और प्रोड्यूसर करण जौहर को उनकी पर्सनैलिटी और पब्लिसिटी राइट्स की सुरक्षा के लिए दायर याचिका में अंतरिम राहत प्रदान करेगी।
न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा, “आईए (इंटरलोक्यूटरी एप्लिकेशन) में मैं विस्तृत आदेश पारित करूंगी। अंतरिम निषेधाज्ञा दी जाएगी।”
अदालत ने इस मामले में शामिल कई ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म और वेबसाइट्स को समन जारी किया और मेटा प्लेटफ़ॉर्म्स समेत अन्य सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज़ को बेसिक सब्सक्राइबर इनफॉर्मेशन (BSI) और आईटी लॉग विवरण देने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि अंतरिम आदेश में जौहर द्वारा उठाए गए कई मुद्दों पर विचार किया जाएगा, जिनमें शामिल हैं—

- उनके नाम और तस्वीर से जुड़े सामान (मर्चेंडाइज़) की अनधिकृत बिक्री,
- आपत्तिजनक या अश्लील सामग्री का प्रसार,
- डोमेन नेम का दुरुपयोग,
- प्रतिरूपण (इम्पर्सनेशन) और फर्जी प्रोफ़ाइल बनाना।
जौहर ने अदालत से विशेष रूप से आग्रह किया था कि कुछ वेबसाइट्स और प्लेटफ़ॉर्म्स को उनके नाम और तस्वीर वाले मग और टी-शर्ट जैसे उत्पादों की अवैध बिक्री से रोका जाए।
वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने जौहर की ओर से दलील दी कि उन्हें यह अधिकार है कि उनकी अनुमति के बिना कोई भी उनके चेहरे, नाम या आवाज़ का व्यावसायिक उपयोग न कर सके। उन्होंने कहा, “मुझे यह अधिकार है कि कोई भी मेरे व्यक्तित्व, चेहरे या आवाज़ का अनधिकृत उपयोग न करे।”
इस याचिका में जौहर का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता निज़ाम पाशा और लॉ फर्म डीएस लीगल ने किया।
प्रतिवादियों में से एक, रेडबबल, ने अदालत को आश्वस्त किया कि वह एक सप्ताह के भीतर याचिका में उल्लिखित आपत्तिजनक सामग्री को हटा देगा।
वहीं मेटा प्लेटफ़ॉर्म्स की ओर से पेश वकील ने कहा कि याचिका में जिन टिप्पणियों को चिह्नित किया गया है, वे मानहानिकारक नहीं हैं। उन्होंने दलील दी कि एक व्यापक निषेधाज्ञा पारित करने से मुकदमों की बाढ़ आ जाएगी। “ये सामान्य लोग हैं जो टिप्पणियां और चर्चाएं कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश व्यंग्य और मज़ाक हैं, न कि मानहानि,” वकील ने कहा।
जौहर की यह याचिका ऐसे समय में आई है जब हाल ही में हाईकोर्ट ने अभिनेता दंपति ऐश्वर्या राय बच्चन और अभिषेक बच्चन द्वारा दायर की गई पर्सनैलिटी और पब्लिसिटी राइट्स से जुड़ी याचिकाओं में भी अंतरिम आदेश पारित किए थे।