तेलंगाना सरकार ने शुक्रवार को हाईकोर्ट को सूचित किया कि कालेश्वरम लिफ्ट इरिगेशन प्रोजेक्ट (KLIP) पर न्यायिक आयोग की रिपोर्ट पर आगे की कार्रवाई केवल विधानसभा में बहस के बाद ही की जाएगी।
यह बयान उस सुनवाई के दौरान दिया गया जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव और पूर्व मंत्री टी. हरीश राव ने रिपोर्ट को रद्द करने की मांग करते हुए याचिका दाखिल की है। अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि यदि यह रिपोर्ट किसी भी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड की गई हो तो उसे तुरंत हटा लिया जाए।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई पांच सप्ताह बाद तय की और राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर विस्तृत प्रतिउत्तर-हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। इसके बाद याचिकाकर्ताओं को एक सप्ताह का समय दिया जाएगा।

याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि रिपोर्ट के आधार पर सरकार को किसी भी कार्रवाई से रोका जाए, लेकिन अदालत ने तत्काल अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि सरकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए रिपोर्ट के कथित लीक होने से याचिकाकर्ता पूर्वाग्रह से ग्रस्त प्रतीत हो रहे हैं। अदालत ने कहा कि रिपोर्ट विधानसभा में पेश होने से पहले सार्वजनिक नहीं की जानी चाहिए थी।
हालांकि, चूंकि महाधिवक्ता सुधर्शन रेड्डी ने स्पष्ट किया कि विधानसभा चर्चा से पहले कोई कार्रवाई नहीं होगी, अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की आशंका निराधार है।
पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश जस्टिस पी.सी. घोष की अध्यक्षता वाले आयोग ने 31 जुलाई को रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें के. चंद्रशेखर राव को परियोजना के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार ठहराया गया। रिपोर्ट में उस समय के सिंचाई मंत्री और केसीआर के भतीजे टी. हरीश राव पर भी सवाल उठाए गए।
दोनों नेताओं ने रिपोर्ट को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया और दलील दी कि आयोग के निष्कर्ष राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं। उनकी ओर से यह भी अनुरोध किया गया कि जब तक मामला विचाराधीन है, सरकार को रिपोर्ट के आधार पर किसी भी कदम से रोका जाए।
अदालत को बताया गया कि मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर रिपोर्ट पर बहस करेगी और भविष्य की कार्रवाई तय करेगी।
गोदावरी नदी पर भूपालपल्ली जिले में बना कालेश्वरम लिफ्ट इरिगेशन प्रोजेक्ट, बीआरएस सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक था। मेडिगड्डा बैराज में आई क्षति ने इसे विवादों में ला दिया। यह मुद्दा 2023 विधानसभा चुनावों में बड़ा राजनीतिक सवाल बन गया था, जहां कांग्रेस ने पिछली सरकार पर भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन का आरोप लगाया।
हाईकोर्ट अब इस मामले की सुनवाई पांच सप्ताह बाद करेगा।