दिल्ली हाईकोर्ट ने डीएलएफ छतरपुर फ़ार्म्स की आंतरिक सड़कों से सीमित सार्वजनिक आवाजाही की अनुमति दी है। अदालत ने अपने पहले के उस अंतरिम आदेश में संशोधन किया है जिसमें बिना किसी रोक-टोक के प्रवेश की अनुमति दी गई थी।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेदेला की खंडपीठ ने 18 अगस्त को पारित आदेश में कहा कि 19 मई का एकल न्यायाधीश का आदेश वस्तुतः याचिका में मांगी गई अंतिम राहत प्रदान करने के समान था और इस पर पुनर्विचार आवश्यक है।
यह मामला आस-पास की कॉलोनियों के निवासियों की याचिका से शुरू हुआ, जिसमें आंतरिक सड़कों पर लगाए गए गेट और बैरिकेड्स हटाने की मांग की गई थी। एकल न्यायाधीश ने पहले बिना किसी शुल्क के आम जनता को प्रवेश की अनुमति दी थी, जिसके खिलाफ छतरपुर फ़ार्म वेलफेयर सोसायटी ने अपील की।

वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव और अधिवक्ता सुमित गहलोत ने अदालत में तर्क दिया कि ये सड़कें निजी हैं जिन्हें फ़ार्म मालिकों ने अपनी ज़मीन पर आवाजाही के लिए बनाया था और बाद में रखरखाव के लिए सहकारी समिति को सौंप दिया गया। दूसरी ओर, याचिकाकर्ताओं का कहना था कि ये सड़कें सार्वजनिक हैं और कोविड-19 महामारी से पहले यहाँ निर्बाध आवाजाही की अनुमति थी, जिसे बाद में अवैध रूप से रोका गया।
खंडपीठ ने कहा कि दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (डीएमसी) अधिनियम सार्वजनिक और निजी दोनों प्रकार की सड़कों को मान्यता देता है और एकल न्यायाधीश ने “निजी सड़क” की परिभाषा को नजरअंदाज किया। अदालत ने इस चरण पर सड़कों की अंतिम स्थिति पर कोई निर्णय नहीं दिया, लेकिन माना कि बिना रोक-टोक प्रवेश की अनुमति अंतरिम स्तर पर ही याचिका की मुख्य राहत प्रदान करने जैसा है।
दोनों पक्षों की सहमति से अदालत ने सीमित पहुँच की अस्थायी व्यवस्था की। आदेश के अनुसार, पास की कॉलोनियों के निवासी गेट नंबर 1 से गेट नंबर 3 तक केवल नॉर्थ ड्राइव, लिंक रोड और ओक ड्राइव मार्ग का उपयोग कर सकेंगे। यह सुविधा रोजाना सुबह 5 बजे से रात 11 बजे तक उपलब्ध रहेगी और इसमें पैदल यात्री, साइकिल, दोपहिया, चारपहिया और आवश्यक सेवाओं के वाहन (जैसे एम्बुलेंस और नगर निगम के वाहन) शामिल होंगे।