सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इंदौर के कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को निर्देश दिया कि वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आपत्तिजनक ढंग से दर्शाने वाली अपनी फेसबुक पोस्ट को लेकर दस दिनों के भीतर अपने सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर माफ़ीनामा प्रकाशित करें।
न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने मालवीय की अग्रिम ज़मानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उनके 16 अगस्त को दायर हलफ़नामे का संज्ञान लिया, जिसमें उन्होंने बिना शर्त माफ़ी मांगी थी। अदालत ने टिप्पणी की—“हमें विश्वास है कि यह माफ़ी कलम से नहीं बल्कि दिल से दी गई है।”
यह मामला 2021 की एक फेसबुक पोस्ट से जुड़ा है जिसमें मालवीय ने कथित तौर पर ऐसा कार्टून साझा किया था जिससे हिंदू धार्मिक भावनाएं आहत हुईं और आरएसएस की छवि धूमिल हुई। मई 2024 में आरएसएस सदस्य और अधिवक्ता विनय जोशी की शिकायत पर मध्य प्रदेश पुलिस ने मालवीय के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता (अब भारतीय न्याय संहिता) की धाराओं 196, 299 और 352 तथा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराओं के तहत मुक़दमा दर्ज किया।

जांच के दौरान पुलिस ने मालवीय की कुछ अन्य विवादित पोस्ट भी चिह्नित कीं, जिनमें से एक न्यायपालिका को लेकर थी। सुप्रीम कोर्ट ने पहले कहा था कि इस तरह की पोस्ट सार्वजनिक विमर्श के गिरते स्तर की ओर संकेत करती हैं।
मालवीय की ओर से अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा कि पोस्ट किसी व्यक्ति या संगठन का अपमान करने के उद्देश्य से नहीं थी और याचिकाकर्ता उसे हटाने को भी तैयार हैं। वहीं, राज्य की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज ने आपत्ति जताई और कहा कि यह पोस्ट जांच का हिस्सा है और जांच पूरी होने तक बनी रहनी चाहिए।
पीठ ने कहा कि वह माफ़ीनामे के प्रकाशन की निगरानी करेगी और दस दिन बाद मामले की अगली सुनवाई में अनुपालन की समीक्षा करेगी।
मालवीय को 3 जुलाई को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से अग्रिम ज़मानत से इंकार किया गया था। हाईकोर्ट ने माना था कि उन्होंने अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत मिले अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का दुरुपयोग किया और जानबूझकर धार्मिक भावनाएं भड़काने वाला पोस्ट किया।
इसके बाद मालवीय ने सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया। गत माह शीर्ष अदालत ने उन्हें गिरफ़्तारी से अंतरिम सुरक्षा दी थी लेकिन यह भी कहा था कि उनका कार्टून “घटिया स्वाद” का है।