सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें जून 2025 में अहमदाबाद में हुई विमान दुर्घटना के बाद एयर इंडिया की सुरक्षा मानकों और रखरखाव प्रक्रियाओं की स्वतंत्र ऑडिट की मांग की गई थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एक दुखद घटना के आधार पर किसी एक एयरलाइन को singled out नहीं किया जा सकता।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता नरेंद्र कुमार गोस्वामी से कहा कि यदि उद्देश्य यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, तो यह केवल एक एयरलाइन तक सीमित नहीं रह सकता।
पीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की, “एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना के आधार पर किसी एक एयरलाइन को निशाना नहीं बनाया जा सकता। सिर्फ एयर इंडिया ही क्यों? क्या सभी एयरलाइनों के लिए ऐसी व्यवस्था नहीं होनी चाहिए? यह बहुत ही दुखद त्रासदी थी, लेकिन यह किसी एयरलाइन को नीचा दिखाने का अवसर नहीं बनना चाहिए। हम खुद भी अक्सर यात्रा करते हैं।”

याचिका में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुरक्षा ऑडिट की मांग
यह याचिका एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 की दुर्घटना के बाद दाखिल की गई थी। यह बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान 12 जून को अहमदाबाद से टेकऑफ के कुछ ही मिनटों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इसमें 242 में से 241 यात्रियों की मौत हो गई, जबकि ज़मीन पर मौजूद 19 लोग भी इस दुर्घटना में मारे गए। मृतकों में 181 भारतीय नागरिक और 52 ब्रिटिश नागरिक शामिल थे। यह हादसा उस समय हुआ जब टाटा समूह के स्वामित्व वाली एयर इंडिया बड़े स्तर पर अपने संचालन में सुधार कर रही थी।
गोस्वामी द्वारा दायर याचिका में एयर इंडिया के पूरे बेड़े की सुरक्षा ऑडिट की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि यह ऑडिट अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (ICAO) से मान्यता प्राप्त एजेंसी द्वारा, सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में करवाई जाए। इसके अलावा, याचिका में डीजीसीए को एयर इंडिया की परिचालन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक “सशक्त प्रणाली” लागू करने का निर्देश देने की मांग भी की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की सीमित दृष्टिकोण पर सवाल उठाए
पीठ ने याचिका की सीमित मांगों पर असहमति जताई और कहा कि यदि कोई व्यापक नियामक प्रणाली चाहिए, तो उसमें सभी घरेलू और विदेशी एयरलाइनों को शामिल करना चाहिए। कोर्ट ने कहा, “अगर आप एक नियामक व्यवस्था चाहते हैं तो सभी एयरलाइनों को पक्षकार बनाइए, सिर्फ एयर इंडिया क्यों?”
कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता को पहले संबंधित प्राधिकरणों के पास अपने सुझाव लेकर जाना चाहिए। “आप पहले संबंधित अधिकारियों से संपर्क करें, हमें यकीन है कि वे आपके सुझावों पर ध्यान देंगे।”
जब याचिकाकर्ता ने बताया कि उन्हें एयर इंडिया के साथ “बेहद खराब अनुभव” रहा है, तो कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत शिकायतें उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत उठाई जा सकती हैं, न कि एक विशेष एयरलाइन को निशाना बनाने वाली जनहित याचिका के ज़रिए।
पीठ ने यह भी आगाह किया कि इस तरह की याचिकाओं में केवल एक एयरलाइन को चुनना याचिकाकर्ता की मंशा पर सवाल खड़ा कर सकता है। “अगर आप सिर्फ एक एयरलाइन को टारगेट कर रहे हैं, तो इससे यह भी प्रतीत हो सकता है कि आपको किसी प्रतिस्पर्धी ने प्रेरित किया है,” कोर्ट ने टिप्पणी की।
अंततः याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने का निर्णय लिया, जिसे कोर्ट ने अपने आदेश में दर्ज किया: “याचिकाकर्ता उपयुक्त प्राधिकरणों के समक्ष उपयुक्त उपायों का सहारा लेने के लिए याचिका वापस लेना चाहता है।”
दुर्घटना की जांच और तत्पश्चात कदम
AI-171 विमान दुर्घटना की जांच भारत के विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (Aircraft Accident Investigation Bureau) द्वारा की जा रही है, जिसमें अमेरिका के नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड, यूके के एयर एक्सीडेंट्स इन्वेस्टिगेशन ब्रांच और बोइंग के प्रतिनिधि भी शामिल हैं।
DGCA की प्रारंभिक रिपोर्ट में पाया गया कि टेकऑफ के कुछ सेकंड बाद ही दोनों इंजन के फ्यूल कंट्रोल स्विच RUN से CUTOFF स्थिति में चले गए, जिससे थ्रस्ट का नुकसान हुआ। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर में एक पायलट ने दूसरे से पूछा कि स्विच क्यों कट-ऑफ हुए, तो दूसरे पायलट ने इससे इनकार किया। Ram Air Turbine (RAT) – एक बैकअप पावर सिस्टम – अपने आप सक्रिय हो गया। हालांकि एक इंजन आंशिक रूप से रिकवर हुआ, लेकिन विमान ऊंचाई हासिल नहीं कर सका। क्रैश से पहले Mayday कॉल रिकॉर्ड की गई थी।
दुर्घटना के बाद टाटा समूह ने मृत यात्रियों के परिजनों को ₹1 करोड़ और ज़मीन पर मारे गए लोगों के परिजनों को ₹25 लाख की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की। इसके साथ ही, AI-171 मेमोरियल एंड वेलफेयर ट्रस्ट की स्थापना की गई है, जिसमें टाटा सन्स और टाटा ट्रस्ट्स द्वारा ₹250-₹250 करोड़ के योगदान के साथ ₹500 करोड़ की कुल राशि रखी गई है। इस ट्रस्ट का उद्देश्य प्रभावित परिवारों की दीर्घकालिक सहायता करना है।