बिहार चुनाव में चुनाव चिन्ह को लेकर जनसंघ की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब


दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को अखिल भारतीय जनसंघ (ABJS) की उस याचिका पर चुनाव आयोग (ECI) से जवाब मांगा है, जिसमें आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए साझा चुनाव चिन्ह (कॉमन सिंबल) की मांग की गई है।

न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा की एकल पीठ ने इस मामले में चुनाव आयोग को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 19 अगस्त को होगी।

जनसंघ की ओर से अधिवक्ता प्रणय रंजन और मृगांक प्रभाकर ने अदालत को बताया कि पार्टी की स्थापना 1951 में हुई थी और 1979 में इसका नाम बदला गया। पार्टी लगातार चुनाव लड़ती रही है और समय-समय पर चुनाव आयोग से चुनाव चिन्ह आवंटित करने का अनुरोध करती रही है। याचिका में यह भी कहा गया है कि पार्टी ने आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव 2024 में “सितार” नामक चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा था।

पार्टी का कहना है कि वह बिहार विधानसभा चुनाव में भी भाग लेने की इच्छुक है और इसी उद्देश्य से उसने 2 जून 2025 को चुनाव आयोग को पत्र लिखकर साझा चुनाव चिन्ह आवंटित करने का अनुरोध किया था। लेकिन आयोग की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद 4 जुलाई 2025 को एक रिमाइंडर भेजा गया, जिसे भी नजरअंदाज कर दिया गया।

याचिका में मांग की गई है कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह 2 जून और 4 जुलाई के पत्रों पर विचार करे और तय समय सीमा में चुनाव चिन्ह आवंटित करे।

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याचिकाकर्ता ने दलील दी कि उसे चुनाव लड़ने का संवैधानिक और वैधानिक अधिकार प्राप्त है, और चुनाव चिन्ह न मिलने से उसकी चुनावी भागीदारी बाधित होगी, जो लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।

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