सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कांग्रेस सांसद शशि थरूर के खिलाफ वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर दिए गए ‘शिवलिंग पर बैठे बिच्छू’ वाले बयान पर दर्ज आपराधिक मानहानि मामले को समाप्त करने की ओर इशारा किया।
यह मामला न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन.के. सिंह की पीठ के समक्ष आया। सुनवाई के दौरान शशि थरूर के वकील ने स्थगन की मांग की, जबकि भाजपा नेता राजीव बब्बर के वकील ने आग्रह किया कि इस मामले को गैर-सामान्य (नॉन-मिसलेनियस) दिवस पर सूचीबद्ध किया जाए।
इस पर न्यायमूर्ति सुंदरेश ने टिप्पणी की, “क्या नॉन-मिसलेनियस डे? इसे समाप्त कर देते हैं। इतनी संवेदनशीलता क्यों? इसे खत्म कर देते हैं। नेता, प्रशासक और जज सभी एक ही श्रेणी में आते हैं — इनकी चमड़ी मोटी होती है, चिंता मत कीजिए।”

हालांकि, शिकायतकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पिंकी आनंद ने कहा कि मामला तो अंततः सुनना ही होगा। अदालत ने सहमति जताते हुए मामले की सुनवाई के लिए नई तारीख तय करने का निर्देश दिया। पिछले वर्ष जारी की गई अंतरिम रोक तब तक जारी रहेगी।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला अक्टूबर 2018 में शशि थरूर के उस बयान से जुड़ा है जिसमें उन्होंने एक अज्ञात आरएसएस नेता का हवाला देते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “शिवलिंग पर बैठे बिच्छू” की तरह बताया गया है। थरूर ने इस तुलना को “अत्यंत प्रभावशाली रूपक” बताया था।
भाजपा नेता राजीव बब्बर ने इस बयान को लेकर थरूर पर धार्मिक भावनाएं आहत करने और प्रधानमंत्री की मानहानि करने का आरोप लगाते हुए नवंबर 2018 में दिल्ली की एक निचली अदालत में आपराधिक शिकायत दर्ज की थी। अप्रैल 2019 में अदालत ने थरूर को आरोपी के तौर पर समन जारी किया था।
थरूर ने इस आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन 29 अगस्त 2023 को हाईकोर्ट ने कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया। इसके बाद थरूर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने 10 सितंबर 2023 को निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाते हुए दिल्ली पुलिस और राजीव बब्बर को नोटिस जारी किया था।
कानूनी स्थिति
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक औपचारिक रूप से कार्यवाही समाप्त नहीं की है, लेकिन शुक्रवार को अदालत की मौखिक टिप्पणियों से स्पष्ट संकेत मिला है कि वह इस प्रकरण को समाप्त करने के पक्ष में है — विशेषकर जब यह एक राजनीतिक रूपक के संदर्भ में किया गया बयान है।