झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य में ध्वनि और दृश्य प्रदूषण पर कड़ा रुख अपनाते हुए प्रेशर हॉर्न, मल्टी-टोन हॉर्न, फ्लैग रॉड और आपातकालीन वाहनों जैसी अतिरिक्त लाइट्स के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने 28 जुलाई को एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किया। याचिका में राज्य में वाहनों और ध्वनि प्रदूषण से संबंधित गंभीर मुद्दों को उठाया गया था।
कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा, “झारखंड राज्य में प्रेशर हॉर्न और मल्टी-टोन हॉर्न से लैस कोई भी वाहन नहीं चलाया जाएगा।” इसके अलावा, जिन वाहनों में लाल या नीली रंग की अतिरिक्त लाइट्स लगी हैं जो आपातकालीन सेवाओं के वाहनों जैसी प्रतीत होती हैं, उन्हें तुरंत हटाने का निर्देश दिया गया है।

कोर्ट ने राजनीतिक दलों या धार्मिक संगठनों से जुड़े झंडों और फ्लैग रॉड के अनधिकृत उपयोग को भी तुरंत हटाने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि इस संबंध में भारत के झंडा संहिता (Flag Code) का सख्ती से पालन होना चाहिए।
साथ ही, कोर्ट ने रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक बिना अनुमति के लाउडस्पीकर के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगा दिया है, और ध्वनि प्रदूषण (नियमन और नियंत्रण) नियमों के सख्त पालन के निर्देश दिए।
कोर्ट ने राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) अनुराग गुप्ता और झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को आदेश दिया है कि वे इन निर्देशों के अनुपालन की पुष्टि करते हुए व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें। ये हलफनामे आगामी सुनवाई से पहले, जो कि 11 अगस्त को निर्धारित है, प्रस्तुत करने होंगे।