दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि जांच एजेंसियों को निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास करते हुए तकनीकी साधनों का इस्तेमाल करना चाहिए। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति रविंदर दुजेडा ने एक हेरोइन बरामदगी मामले में जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की।
न्यायमूर्ति दुजेडा ने आरोपी रवि प्रकाश की जमानत याचिका को 24 जुलाई को पारित आदेश में खारिज करते हुए कहा कि यह मान लेना उचित नहीं है कि वर्ष 2023 में पुलिस अधिकारियों के पास वीडियोग्राफी या फोटोग्राफी के उपकरण मौजूद थे और केवल इस आधार पर पुलिस की कहानी को खारिज नहीं किया जा सकता।
अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि घटनास्थल के पास कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था, इसलिए कोई वीडियो फुटेज उपलब्ध नहीं है।

कोर्ट ने कहा, “तकनीक का उपयोग जांच की कार्यकुशलता और पारदर्शिता को निश्चित रूप से बढ़ाता है और निष्पक्षता सुनिश्चित करता है। अतः जांच एजेंसियों को हरसंभव प्रयास करना चाहिए कि वे जांच में तकनीकी साधनों की मदद लें।”
न्यायालय ने यह भी कहा कि आरोपी अप्रैल 2023 से हिरासत में है और यह नहीं कहा जा सकता कि वह अत्यधिक लंबे समय से जेल में बंद है या मुकदमे में अत्यधिक देरी के कारण उसे जमानत दी जानी चाहिए।
अभियोजन के अनुसार, आरोपी को 19 अप्रैल 2023 को गिरफ्तार किया गया था और उसके पास से एक किलो हेरोइन बरामद की गई थी।