दिल्ली हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग केस रद्द करने की याचिका पर ईडी से मांगा जवाब

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को कथित हवाला कारोबारी मोहम्मद असलम वानी द्वारा दायर उस याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब तलब किया है, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले को रद्द करने की मांग की गई है। यह मामला वर्ष 2005 के एक आतंकवाद फंडिंग मामले से जुड़ा है, जिसमें वानी को पहले ही बरी किया जा चुका है।

न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने ईडी से जवाब मांगा और अगली सुनवाई की तारीख 26 सितंबर तय की।

वानी की ओर से अधिवक्ता एम.एस. खान ने दलील दी कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले की नींव जिस 2005 के आतंकवाद फंडिंग केस पर आधारित है, वह अब नहीं टिकती क्योंकि वानी को उस मामले में 2010 में ट्रायल कोर्ट ने आतंकवाद से जुड़े आरोपों से बरी कर दिया था। इस फैसले को 2017 में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा था। वानी को केवल शस्त्र अधिनियम के तहत दोषी ठहराया गया था।

Video thumbnail

खान ने कहा, “नतीजतन, अनुसूचित अपराधों से कथित अपराध की आय उत्पन्न होने के आरोप नहीं टिकते। कानून के अनुसार, यदि मूल (predicate) अपराध साबित नहीं होता, तो उससे संबंधित पीएमएलए मामला भी स्वतः समाप्त हो जाता है।”

READ ALSO  गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगा सकती है विधायिका: दिल्ली हाई कोर्ट

वानी ने मुकदमे में अत्यधिक देरी पर भी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि जनवरी 2017 में उनके और सह-आरोपी व कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर शाह के खिलाफ आरोप तय किए गए थे, लेकिन पिछले सात वर्षों में केवल 33 में से चार गवाहों की ही गवाही हो पाई है।

वानी और शाह को 26 जुलाई 2017 को ईडी के इस मामले में गिरफ्तार किया गया था, जो दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा अगस्त 2005 में दर्ज प्राथमिकी पर आधारित था। उस समय वानी के पास से 63 लाख रुपये नकद और बड़ी मात्रा में गोला-बारूद बरामद किया गया था, जो कथित रूप से मध्य-पूर्व से आए हवाला धन का हिस्सा था।

READ ALSO  इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पहली बार एक ही निर्णय को अंग्रेजी, हिंदी और संस्कृत में दिया

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, वानी ने कबूल किया था कि उसने लगभग 2.25 करोड़ रुपये की कई किस्तें शब्बीर शाह और उनके सहयोगियों को पहुंचाई थीं। उसने यह भी दावा किया था कि जब्त की गई राशि का एक हिस्सा श्रीनगर में जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर अबू बकर को दिया जाना था, जबकि एक हिस्सा उसने कमीशन के रूप में रखा था।

ईडी ने इन कथित हवाला लेन-देन और आतंकी फंडिंग के आधार पर शाह और वानी के खिलाफ पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया था।

READ ALSO  ट्रैफ़िक के कारण ई-वे बिल अवधि के बाद माल की डिलीवरी टैक्स चोरी नहीं- जानिए सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles