मुख्य न्यायाधीश गवई ने अम्बेडकर की संवैधानिक दृष्टि को दोहराया: कहा—संविधान सर्वोच्च है, न्यायपालिका स्वतंत्र रहनी चाहिए

भारत के मुख्य न्यायाधीश भुषण रमकृष्ण गवई ने मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा में अपने अभिनंदन समारोह के दौरान डॉ. भीमराव अंबेडकर की उस विचारधारा को रेखांकित किया, जिसमें उन्होंने संविधान की सर्वोच्चता और कार्यपालिका से न्यायपालिका की स्वतंत्रता की आवश्यकता को प्रमुख स्थान दिया था।

मुख्य न्यायाधीश गवई ने अपने संबोधन में कहा, “डॉ. अंबेडकर ने कहा था कि हम सभी संविधान की सर्वोच्चता में विश्वास रखते हैं, जो देश को शांति और युद्ध दोनों समयों में एकजुट रखेगा।” उन्होंने कहा कि संविधान तीनों अंगों—कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका—को अधिकार देता है, और अंबेडकर के अनुसार, न्यायपालिका को नागरिकों के अधिकारों की “रक्षक और प्रहरी” की भूमिका निभानी चाहिए।

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सीजेआई गवई ने डॉ. अंबेडकर का उद्धरण देते हुए कहा कि “न्यायपालिका को कार्यपालिका के हस्तक्षेप से मुक्त होना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि अंबेडकर के अनुसार, संविधान एक स्थिर दस्तावेज नहीं है, बल्कि वह एक organic (सजीव) दस्तावेज है जिसे समय-समय पर विकसित होते रहना चाहिए।

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इस अवसर पर महाराष्ट्र विधानसभा और विधान परिषद दोनों ने सर्वसम्मति से न्यायमूर्ति गवई को सर्वोच्च न्यायिक पद पर नियुक्ति के लिए बधाई दी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी सदन की ओर से उनका अभिनंदन किया।

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