मद्रास हाईकोर्ट ने फिल्म निर्माता और व्यवसायी के खिलाफ ₹1,000 करोड़ TASMAC मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED की तलाशी कार्यवाही पर लगाई रोक

फिल्म निर्माता आकाश बस्करन और व्यवसायी विक्रम रविंद्रन को बड़ी राहत देते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को ₹1,000 करोड़ के कथित TASMAC मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा तलाशी और जब्ती की अनुमति के तहत की गई आगे की सभी कार्यवाहियों पर रोक लगा दी है।

मुख्य न्यायमूर्ति एम.एस. रमेश और न्यायमूर्ति वी. लक्ष्मीनारायणन की खंडपीठ ने यह अंतरिम आदेश याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर रिट याचिकाओं की सुनवाई के दौरान पारित किया, जिसमें उन्होंने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 17 के तहत ED की कार्रवाई की वैधता को चुनौती दी थी।

वरिष्ठ अधिवक्ताओं विजय नारायणन और अब्दुलकुमार ने याचिकाकर्ताओं की ओर से प्रस्तुत करते हुए कहा कि उनका तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन (TASMAC) के संचालन से कोई संबंध नहीं है और सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय (DVAC) द्वारा दर्ज 41 प्राथमिकी में न तो उनका नाम है और न ही उनके विरुद्ध कोई प्राथमिक अपराध दर्ज है।

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इससे पहले 13 जून को पारित अंतरिम आदेश में कोर्ट ने ED को निर्देश दिया था कि वह उस सामग्री को सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत करे, जिसके आधार पर उसे यह “विश्वास करने का कारण” हुआ कि याचिकाकर्ता मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल हैं या अपराध की आय की संपत्ति उनके पास है।

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कोर्ट ने नोट किया कि विशेष लोक अभियोजक ने 17 जून को सीलबंद लिफाफा और एक बिना तारीख और हस्ताक्षर वाला स्पष्टीकरण नोट प्रस्तुत किया, लेकिन उसमें याचिकाकर्ताओं को अपराध से जोड़ने वाला कोई भी आपत्तिजनक सामग्री नहीं पाई गई। कोर्ट ने यह भी कहा कि स्पष्टीकरण नोट का पहले दिए गए “विश्वास के कारण” से कोई संबंध नहीं है और यह तलाशी और जब्ती की कार्रवाई को उचित ठहराने में विफल है।

जब कोर्ट ने पूछा, तो अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने TASMAC अधिकारियों के खिलाफ दर्ज 41 प्राथमिकी को ED की कार्रवाई का आधार बताया। लेकिन कोर्ट ने असहमति जताते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं से कोई संबंध न रखने वाली प्राथमिकी, PMLA के तहत तलाशी और जब्ती की वैध अनुमति का आधार नहीं हो सकती।

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खंडपीठ ने यह निष्कर्ष निकाला कि ED द्वारा 15 मई 2025 को जारी प्राधिकरण संख्या 96/2025 और 16 मई को विक्रम रविंद्रन के परिसर को सील करने की कार्रवाई “पूरी तरह से अधिकार और क्षेत्राधिकार के बिना” की गई थी क्योंकि उस समय कोई आपत्तिजनक सामग्री मौजूद नहीं थी।

अतः कोर्ट ने आदेश दिया:

  • उक्त प्राधिकरण के तहत की गई सभी आगे की कार्यवाहियों पर रोक लगाई जाती है,
  • ED को 16 मई को की गई कार्रवाई में जब्त की गई सभी संपत्तियां याचिकाकर्ताओं को लौटानी होंगी, और
  • याचिकाकर्ता लौटाई गई किसी भी डिजिटल डिवाइस के साथ छेड़छाड़ या उसे किसी अन्य को स्थानांतरित नहीं करेंगे।
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मामले की अगली सुनवाई 16 जुलाई को निर्धारित की गई है।

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