मंगलवार को झारखंड हाईकोर्ट ने राज्यभर में लंबे समय से लंबित भूमि सर्वेक्षण की प्रगति का जायज़ा लिया और सरकार को यह निर्देश दिया कि वह इस प्रक्रिया को तेजी से पूरा करे। अदालत को सूचित किया गया कि भूमि एवं राजस्व विभाग की तीन टीमों को उन्नत सर्वेक्षण तकनीकों के अध्ययन हेतु देश के विभिन्न राज्यों — बिहार, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक — में भेजा गया है।
मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ, गोकुल चंद द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें राज्य में वर्ष 1975 से चल रहे भूमि सर्वेक्षण कार्य में हो रही देरी को लेकर चिंता जताई गई थी।
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने बताया कि इन टीमों में से एक ने आंध्र प्रदेश में एक सम्मेलन में भी भाग लिया, जहां आधुनिक भूमि सर्वेक्षण तकनीकों की जानकारी प्राप्त की गई। सरकार ने आश्वासन दिया कि अन्य राज्यों में अपनाई गई बेहतरीन तकनीकों और प्रक्रियाओं को झारखंड में लागू कर सर्वेक्षण कार्य में तेजी लाई जाएगी।

खंडपीठ ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह भूमि सर्वेक्षण कार्य को शीघ्रता से पूरा करे और बिना किसी देरी के आधुनिक तकनीकों को अपनाए। सरकार ने यह भी बताया कि लातेहार और लोहरदगा जिलों में सर्वेक्षण कार्य पूरा कर लिया गया है, जबकि अन्य जिलों में यह प्रक्रिया अभी जारी है और शीघ्र पूर्ण होने की संभावना है।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को निर्धारित की गई है।