सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा दायर अपील पर सुनवाई करते हुए वी. बालाकृष्णन को नोटिस जारी किया, जिसमें हाईकोर्ट ने सड़क की खराब स्थिति को देखते हुए टोल वसूली पर रोक लगा दी थी।
न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने यह नोटिस तब जारी किया जब अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन. वेंकटरमण, जो NHAI की ओर से पेश हुए, ने हाईकोर्ट के 3 जून के आदेश पर रोक लगाने की मांग की।
मद्रास हाईकोर्ट ने यह आदेश सेवानिवृत्त सहायक कार्यपालक अभियंता वी. बालाकृष्णन की जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए दिया था। याचिका में कहा गया था कि मदुरै-तूतिकोरिन राष्ट्रीय राजमार्ग की हालत खराब है और अनुबंध की शर्तों के अनुसार सड़क के दोनों ओर और बीच के डिवाइडर पर लगाए जाने वाले पौधे भी पूरी तरह नहीं लगाए गए हैं। इसके बावजूद टोल वसूली की जा रही है।
बालाकृष्णन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी. विल्सन ने NHAI की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि “खराब सड़कों पर टोल वसूली सीधा दिनदहाड़े डकैती है।”
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि 2006 में इस राजमार्ग का ठेका दिया गया था और 2011 में इसे उपयोग के लिए खोला गया। तब से अब तक दो टोल प्लाज़ा से लगातार टोल वसूला जा रहा है, जबकि सड़क की देखरेख नहीं की गई और कई हिस्सों में सड़क की हालत इतनी खराब है कि उन पर चलना मुश्किल हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अब बालाकृष्णन से जवाब मांगा है और मामले की अगली सुनवाई बाद में तय की जाएगी।