दिल्ली हाईकोर्ट ने एमपी के पत्रकार को दी सुरक्षा, भिंड एसपी पर पिटाई और जान से मारने की धमकी का आरोप

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को मध्य प्रदेश के भिंड जिले के एक पत्रकार अमरकांत सिंह चौहान को अंतरिम सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया। चौहान ने आरोप लगाया था कि भिंड के पुलिस अधीक्षक (एसपी) से जान को खतरा है और उन्हें उनके कार्यालय में बुलाकर पीटा गया।

न्यायमूर्ति रवींद्र दुडेचा की एकल पीठ ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह चौहान को दो महीने की सुरक्षा प्रदान करे। अदालत ने यह भी कहा कि इस दौरान याचिकाकर्ता संबंधित हाईकोर्ट (मप्र हाईकोर्ट) में आगे की कानूनी राहत के लिए संपर्क कर सकते हैं।

अदालत ने याचिका का निपटारा करते हुए चौहान के वकील से कहा कि वे उस दिल्ली पुलिस स्टेशन का विवरण दें जहां चौहान वर्तमान में रह रहे हैं। साथ ही, अदालत ने निर्देश दिया कि उनका मोबाइल नंबर संबंधित बीट अधिकारी और थाना प्रभारी को भी उपलब्ध कराया जाए।

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हालांकि, दिल्ली पुलिस के वकील ने इस याचिका का विरोध किया।

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चौहान, जो स्वराज एक्सप्रेस न्यूज़ चैनल के भिंड ब्यूरो चीफ हैं, ने अपनी याचिका में कहा कि 1 मई को उन्हें भिंड एसपी असित यादव ने ‘चाय पर बुलाने’ के बहाने अपने दफ्तर बुलाया और वहां उन्हें बुरी तरह पीटा गया। याचिका में कहा गया कि उस समय अन्य पत्रकार भी वहां मौजूद थे और सभी को उनके अंतर्वस्त्रों में उतारकर पीटा गया।

इस घटना के संबंध में चौहान, यूट्यूब चैनल चलाने वाले प्रीतम सिंह राजावत और न्यूज़ पोर्टल संचालक शशिकांत गोयल ने भिंड के जिलाधिकारी को शिकायत दी थी। हालांकि, एसपी ने इन आरोपों से इनकार किया है।

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चौहान ने अदालत को बताया कि उन्हें पुलिस की प्रताड़ना के कारण अपने गृह राज्य से भागकर 19 मई को दिल्ली आना पड़ा और अब उन्हें तथा उनके परिवार को जान का खतरा है, इसलिए वे वापस नहीं लौट सकते। उनके वकील ने कहा कि भय के माहौल के कारण वे मध्य प्रदेश हाईकोर्ट नहीं जा सके और मजबूरी में दिल्ली हाईकोर्ट की शरण ली।

याचिका में यह भी कहा गया कि चौहान हाल ही में चंबल नदी में हो रहे अवैध रेत खनन के बारे में लगातार रिपोर्टिंग कर रहे थे, जिसमें कथित तौर पर स्थानीय पुलिस भी शामिल थी। इसी बात से नाराज होकर उन्हें टारगेट किया गया।

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चौहान ने संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 19(1)(g) (पेशे की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत सुरक्षा की मांग की थी।

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