सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के हाल ही में संपन्न हुए चुनावों में कथित अनियमितताओं के मद्देनज़र चुनाव समिति को अध्यक्ष और कार्यकारिणी सदस्यों के लिए डाले गए वोटों की पुनर्गणना करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की अवकाशकालीन पीठ ने यह निर्देश उस समय दिया जब चुनाव प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ियों की शिकायतें सामने आईं। अदालत ने कहा कि बार एसोसिएशन के चुनाव की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए यह जरूरी है कि वोटों की पुनर्गणना की जाए।
सीनियर एडवोकेट विजय हंसारिया, जो चुनाव समिति के सदस्य हैं, ने पीठ को बताया कि शिकायतों के बाद समिति ने स्वयं ही पुनर्गणना करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता अदिश अग्रवाला, जिन्होंने अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ा था, ने शिकायत की है कि अध्यक्ष पद के लिए कुल 2,651 वैध वोट घोषित किए गए जबकि कुल जारी मतपत्र 2,588 ही थे।
हंसारिया ने बताया, “अध्यक्ष पद के वोटों की पुनर्गणना पहले शुरू होगी क्योंकि इसमें कम समय लगेगा, इसके बाद कार्यकारिणी सदस्यों के वोटों की गिनती दो से तीन दिन में की जाएगी।”
न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने स्पष्ट किया कि यह मामला विशेष पीठ (जिसमें वे और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन शामिल हैं) के समक्ष लंबित है, इसलिए कोर्ट केवल प्रशासनिक स्तर पर पुनर्गणना का निर्देश दे रही है, न कि किसी न्यायिक आदेश के तहत।
पीठ ने यह भी चिंता व्यक्त की कि चुनाव समिति के सदस्यों को धमकाया जा रहा है। हंसारिया ने बताया कि अग्रवाला ने समिति के सदस्यों को नोटिस जारी किए हैं और आपराधिक कार्रवाई की चेतावनी दी है।
इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सख्त लहजे में कहा, “चुनाव समिति के सदस्यों को डराने-धमकाने का कोई प्रयास बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे लोगों से निपटना कोर्ट को आता है।”
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह चुनाव समिति को नहीं बदलेगी। “अगर कोई सदस्य अस्वस्थ हो तो हम उसकी जगह किसी अन्य को नियुक्त कर सकते हैं, लेकिन समिति को हटाया नहीं जाएगा,” पीठ ने कहा।
अदालत ने हंसारिया से पुनर्गणना की प्रक्रिया और उसके परिणामों पर एक रिपोर्ट देने को कहा, लेकिन निर्देश दिया कि परिणाम तब तक घोषित न किए जाएं जब तक कोर्ट अनुमति न दे। “हम यह देखना चाहते हैं कि प्रक्रिया निष्पक्ष थी या नहीं,” न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा।
SCBA के 2025 चुनाव में वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह को अध्यक्ष घोषित किया गया था और नौ कार्यकारिणी सदस्य निर्वाचित घोषित किए गए थे। अब इस पुनर्गणना आदेश के चलते इन परिणामों पर फिलहाल रोक लग गई है।
कोर्ट ने संकेत दिया है कि यदि कोई समस्या आती है तो चुनाव समिति न्यायालय से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकती है। मामला अभी विचाराधीन है और शीर्ष अदालत ने निष्पक्षता सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया है।