नई दिल्ली, 15 मई 2025 — सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मध्य प्रदेश के मंत्री कुँवर विजय शाह को उस एफआईआर के सिलसिले में कोई अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया, जो उनके द्वारा भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी को “आतंकवादियों की बहन” कहने को लेकर दर्ज की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह की पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता विभा माखीजा ने इस मामले का तात्कालिक उल्लेख किया और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेते हुए एफआईआर दर्ज कराने के आदेश को चुनौती दी।
सुनवाई के दौरान, मुख्य न्यायाधीश गवई ने मौखिक रूप से कहा, “ऐसी संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति से एक स्तर बनाए रखने की अपेक्षा होती है… मंत्री द्वारा बोला गया हर वाक्य जिम्मेदारी के साथ होना चाहिए।”

विभा माखीजा ने दलील दी कि विजय शाह ने अपने बयान पर खेद प्रकट किया है और वह मीडिया द्वारा गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि बयान को संदर्भ से काटकर पेश किया गया है।
चूंकि एफआईआर पहले ही दर्ज हो चुकी है, कोर्ट ने कहा कि शाह को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से राहत के लिए आवेदन करना चाहिए। पीठ ने कहा, “हाईकोर्ट जाइए, हम कल सुनेंगे।”
सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान कोई अंतरिम आदेश पारित करने से मना कर दिया है। मामला अब हाईकोर्ट में विचाराधीन है, जिसने स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई शुरू की थी।
गौरतलब है कि कर्नल सोफिया कुरैशी ने विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ मिलकर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों पर की गई भारतीय वायुसेना की कार्रवाई को लेकर मीडिया को जानकारी दी थी और इस अभियान का चेहरा बनी थीं।