हिमाचल प्रदेश RERA पांच महीने से बिना अध्यक्ष; हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

हिमाचल प्रदेश रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (RERA) पिछले पांच महीनों से बिना अध्यक्ष के कार्य कर रही है। चयन प्रक्रिया पूरी हो जाने के बावजूद राज्य सरकार ने अब तक अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की अधिसूचना जारी नहीं की है।

इस देरी को गंभीरता से लेते हुए हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह एक शपथपत्र दाखिल कर स्पष्ट करे कि चयन समिति की सिफारिशों को लागू करने में देरी का कारण क्या है।

मुख्य न्यायाधीश जी.एस. संधावालिया और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने 9 मई को आदेश देते हुए कहा, “जनहित को ध्यान में रखते हुए, यदि नियुक्ति अधिसूचित नहीं की गई है तो सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि ऐसा क्यों नहीं किया गया और चयन समिति की सिफारिशों को रोकने का विशेष कारण क्या है।” कोर्ट ने राज्य सरकार को 15 मई तक जवाब दाखिल करने का समय दिया है।

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यह मामला अतुल शर्मा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान उठा, जिसमें उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव प्रभोध सक्सेना को दिए गए सेवा विस्तार को चुनौती दी थी। याचिका में दावा किया गया कि यह विस्तार केंद्र सरकार की सेवा नियमावली और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। साथ ही यह भी कहा गया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोपित अधिकारी को सतर्कता मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए थी।

सक्सेना, 1990 बैच के आईएएस अधिकारी, को RERA अध्यक्ष पद का एक प्रमुख दावेदार माना जा रहा था। दिसंबर 2024 में श्रीकांत बाल्दी के सेवानिवृत्त होने के बाद से यह पद खाली है। सूत्रों के अनुसार, RERA चयन समिति—जिसकी अध्यक्षता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश कर रहे थे और जिसमें शहरी विकास और विधि सचिव सदस्य थे—ने सक्सेना के खिलाफ लंबित आपराधिक मामले के चलते उनकी उम्मीदवारी का विरोध किया था।

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सक्सेना पर हाई-प्रोफाइल INX मीडिया मामले में चार्जशीट दायर की गई है, जिसमें पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम भी आरोपी हैं। 2008 से 2010 के बीच आर्थिक मामलों के विभाग में निदेशक रहते हुए सक्सेना ने विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड से संबंधित मामलों की देखरेख की थी। यह मामला अब भी न्यायालय में विचाराधीन है।

इन विवादों के बावजूद सक्सेना को 1 जनवरी 2023 को हिमाचल प्रदेश का मुख्य सचिव नियुक्त किया गया था। उनके प्रशासनिक करियर में बिलासपुर के उप-मंडलाधिकारी, मंडी के जिलाधिकारी, केंद्रीय वित्त मंत्रालय में विभिन्न पद, और 2013 से 2016 तक मनीला स्थित एशियन डेवलपमेंट बैंक में कार्यकारी निदेशक के वरिष्ठ सलाहकार जैसे महत्वपूर्ण पद शामिल रहे हैं।

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हाल ही में, 14 मार्च को हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के हॉलिडे होम में आयोजित एक समारोह को लेकर भी सक्सेना विवादों में आए। करीब 75 लोगों—जिसमें 20 से अधिक आईएएस अधिकारियों और उनके परिवारों—की उपस्थिति वाले इस आयोजन का ₹1.22 लाख का बिल सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा गया। बिल की एक प्रति सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा।

भाजपा विधायक बिक्रम सिंह ने इस घटना की आलोचना करते हुए कहा, “जब राज्य पर ₹1 लाख करोड़ का कर्ज है, तब इस तरह के आयोजनों से सरकार और नौकरशाही की आम जनता के प्रति असंवेदनशीलता झलकती है। यह लोकतांत्रिक भावना, नैतिक आचरण और प्रशासनिक गरिमा का घोर उल्लंघन है।”

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अब यह मामला अगली सुनवाई के लिए लंबित है, जबकि राज्य सरकार अदालत के निर्देश के अनुसार अपना शपथपत्र तैयार कर रही है।

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