सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को आरटीआई के दायरे में लाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई टाली

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उन दो महत्वपूर्ण जनहित याचिकाओं (PILs) पर अंतिम सुनवाई को टाल दिया, जिनमें देश के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों को सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के दायरे में लाने की मांग की गई है। ये याचिकाएं गैर-सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (ADR) और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दाखिल की गई हैं, जिनका उद्देश्य राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाना और चुनावों के दौरान काले धन के इस्तेमाल पर रोक लगाना है।

मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ को गुरुवार को इन याचिकाओं पर सुनवाई करनी थी, लेकिन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना (जो 13 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं) ने संकेत दिया कि याचिकाओं पर 15 मई को सुनवाई हो सकती है।

याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत सभी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों को RTI अधिनियम, 2005 की धारा 2(h) के तहत “सार्वजनिक प्राधिकरण” घोषित किया जाए। इससे राजनीतिक दलों को अपने फंडिंग स्रोतों और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी सार्वजनिक करनी होगी।

Video thumbnail

सुनवाई के दौरान ADR की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि यह मामला लगभग एक दशक से लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने 7 जुलाई 2015 को केंद्र सरकार, निर्वाचन आयोग और छह प्रमुख राजनीतिक दलों — कांग्रेस, भाजपा, भाकपा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), बहुजन समाज पार्टी (BSP) आदि को नोटिस जारी किया था।

उपाध्याय द्वारा 2019 में दायर याचिका में भी समान मांगें की गई थीं — राजनीतिक दलों को सार्वजनिक प्राधिकरण घोषित करना, ताकि राजनीतिक जवाबदेही को मजबूत किया जा सके और भ्रष्टाचार तथा सांप्रदायिकता पर रोक लगाई जा सके। याचिका में केंद्र सरकार से यह भी कहा गया है कि वह चुनावी भ्रष्टाचार और सार्वजनिक संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।

READ ALSO  Bar Council of India ने दी अधिवक्ताओं को बड़ी राहत

याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि राजनीतिक दलों को सरकार की ओर से परोक्ष रूप में कई सुविधाएं मिलती हैं — जैसे भूमि और भवन आवंटन, सब्सिडी पर आवास, और दूरदर्शन पर मुफ्त प्रसारण समय — इसलिए उन्हें जनता के प्रति जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ₹20,000 से कम के चंदों का खुलासा अनिवार्य न होने के कारण फंडिंग में पारदर्शिता नहीं रहती।

भूषण ने केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के उस पूर्व निर्णय का भी हवाला दिया जिसमें राजनीतिक दलों को RTI अधिनियम के तहत सार्वजनिक प्राधिकरण माना गया था। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीतिक दल चंदे पर आयकर नहीं देते और संविधान की दसवीं अनुसूची में वर्णित दलबदल रोधी प्रावधानों के ज़रिये विधायिकाओं पर उनका अत्यधिक नियंत्रण है।

READ ALSO  अलुवा में बलात्कार, हत्या मामला: केरल की अदालत ने दोषी को मौत की सजा सुनाई

ADR की याचिका में चुनाव आयोग से यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि वह RTI अधिनियम, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, आयकर अधिनियम और अन्य चुनाव संबंधी कानूनों के अनुपालन को सुनिश्चित करे और नियमों का पालन न करने वाले दलों का पंजीकरण रद्द करने की शक्ति भी रखे।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान दोहराया कि सभी पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद किसी गैर-सामान्य दिवस पर अंतिम सुनवाई की जाएगी। इन याचिकाओं के परिणामस्वरूप भारत में राजनीतिक पारदर्शिता और चुनावी सुधारों पर दूरगामी प्रभाव पड़ सकता है।

READ ALSO  बिना ग्राहक कि गलती के बैंक फ्रॉड हुआ तो बैंक को देना होगा क्षतिपूर्तिः हाईकोर्ट
Ad 20- WhatsApp Banner

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles