दिल्ली के शाहदरा इलाके में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक किराएदार पर वक्फ की संपत्ति को अवैध रूप से बेचने का आरोप लगा है। इस मामले ने न्यायपालिका का ध्यान आकर्षित किया है और दिल्ली हाई कोर्ट ने तत्काल हस्तक्षेप करते हुए कई जिम्मेदार प्राधिकरणों से जवाब तलब किया है।
यह मामला पश्चिम रोहताश नगर की मेन बाबरपुर रोड पर स्थित 118 वर्ग गज की वक्फ संपत्ति से जुड़ा है, जिसे मस्जिद पराओ वाली की प्रबंधन समिति द्वारा देखा जाता है। अधिवक्ता वज़ीह शफीक के माध्यम से दाखिल याचिका के अनुसार, इस संपत्ति को मूल रूप से मेसर्स दयाल सिंह इंदरजीत सिंह को उनके मालिक दयाल सिंह के माध्यम से किराए पर दिया गया था। लेकिन अब आरोप है कि किराएदार ने इस संपत्ति को अवैध रूप से बेच दिया, जबकि यह संपत्ति वक्फ की है और इसे केवल धार्मिक और जनकल्याण के कार्यों के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए न्यायमूर्ति तारा वितस्ता गंजू की पीठ ने दिल्ली पुलिस, दिल्ली वक्फ बोर्ड, नगर निगम (MCD) के साथ-साथ संपत्ति के कथित विक्रेता और खरीदार को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 14 मई 2025 को होगी।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने सबसे पहले 13 जनवरी 2025 को शाहदरा थाने के एसएचओ से संपर्क किया और शिकायत दर्ज कराई। इसके अगले दिन यानी 14 जनवरी को वक्फ बोर्ड और एसएचओ को लिखित शिकायत सौंपी गई और 16 जनवरी को मामले की जानकारी एमसीडी को भी दी गई। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इन शिकायतों पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस, एमसीडी और अन्य विभागों के प्रतिनिधियों ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि वे इस मामले में जरूरी कदम उठाएंगे। न्यायमूर्ति गंजू की पीठ ने स्पष्ट किया कि यह मामला अति गंभीर है और इसमें तत्पर कार्रवाई की आवश्यकता है, विशेषकर अधिकारियों की निष्क्रियता को देखते हुए।
मस्जिद पराओ वाली की प्रबंधन समिति ने कोर्ट से अपील की है कि इस अवैध बिक्री के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। याचिका में वक्फ संपत्तियों की कानूनी पवित्रता को रेखांकित किया गया है, यह बताते हुए कि ऐसी संपत्तियां धार्मिक और सामुदायिक उपयोग के लिए दान में दी जाती हैं और इन्हें बेचा या स्थानांतरित नहीं किया जा सकता।