सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने सोमवार को सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट साझा कर सनसनी मचा दी। उन्होंने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से लिखा:
“मैं मरना चाहता हूं मेरे दोस्तों। मैंने अपने देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाया है, और अब मुझे आराम की ज़रूरत है।”
इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। कई यूज़र्स ने इसे काटजू के आम तौर पर व्यंग्यपूर्ण अंदाज़ में कही गई बात माना, तो कई अन्य लोगों ने इसे गहरी चिंता और भावनात्मक थकावट का संकेत बताया।

मिली-जुली प्रतिक्रियाएं
काटजू की इस पोस्ट ने यूज़र्स के बीच चिंता, सहानुभूति और भ्रम की स्थिति पैदा कर दी। कई लोगों ने उन्हें समर्थन देने और मानसिक स्वास्थ्य सहायता लेने की सलाह दी, वहीं कुछ यूज़र्स यह सोचते रह गए कि क्या यह उनकी विख्यात विडंबनात्मक शैली का हिस्सा है या एक गंभीर भावनात्मक पीड़ा की अभिव्यक्ति।
एक यूज़र ने लिखा, “क्या यह जस्टिस काटजू का एक और व्यंग्यात्मक ट्वीट है या मदद की सच्ची पुकार?” — इस सवाल ने कई लोगों की भावना को अभिव्यक्त किया।
एक विवादास्पद लेकिन मुखर शख्सियत
20 सितंबर 1946 को लखनऊ में जन्मे जस्टिस मार्कंडेय काटजू भारतीय न्यायपालिका और सार्वजनिक जीवन में एक जानी-मानी और मुखर आवाज़ रहे हैं। वह अक्सर अपने बेबाक और असंपादित बयानों के लिए चर्चा में रहते हैं।
1970 में उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत की शुरुआत की और बाद में वहीं पर स्थायी जज बने। इसके बाद उन्होंने मद्रास और दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया। 2006 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किया गया। सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने प्रति सप्ताह 100 से अधिक मामलों का निपटारा कर चर्चा बटोरी।
2011 से 2014 तक काटजू प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन भी रहे। अपने करियर के दौरान वे कई बार विवादों में भी रहे। एक बार उन्होंने कहा था, “90% भारतीय मूर्ख हैं,” — यह बयान उन्होंने जाति और धर्म के नाम पर लोगों को आसानी से बहकाया जा सकने वाले कहकर दिया था, जिसे लेकर व्यापक आलोचना हुई थी।
विरासत और परिवार
काटजू का परिवार भी न्यायिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि से जुड़ा रहा है। उनके पिता जस्टिस शिवनाथ काटजू इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज थे, जबकि उनके दादा कैलाशनाथ काटजू मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के राज्यपाल रह चुके हैं।
सोशल मीडिया पर लगातार सक्रिय
हालांकि वे लंबे समय से किसी संवैधानिक पद पर नहीं हैं, लेकिन जस्टिस काटजू सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहते हैं। उनके पोस्ट्स में व्यंग्य, साहित्यिक संदर्भ और वर्तमान राजनीति तथा समाज पर तीखी टिप्पणियां देखने को मिलती हैं।
उनकी हालिया पोस्ट ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि भले ही वे सेवानिवृत्त हो चुके हों, लेकिन उनकी बातें आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय बन जाती हैं — चाहे वह चिंता की वजह हो या व्यंग्य की।