दिल्ली हाईकोर्ट के जज के घर में लगी आग मिला भारी मात्रा में कैश, कोलेजियम ने किया तुरंत तबादला


दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास पर 14 मार्च को हुई आगजनी की घटना ने पूरे न्यायिक तंत्र में हलचल मचा दी है। आग बुझाने के दौरान उनके घर के एक कमरे में भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई, जिससे न्यायपालिका की शुचिता पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। उस समय न्यायमूर्ति वर्मा घर पर नहीं थे और उनके परिजनों ने तत्काल फायर ब्रिगेड और पुलिस को सूचना दी थी।

आग पर काबू पाने के बाद जब राहत और बचाव कार्य जारी था, तभी एक कमरे में छुपाकर रखी गई बड़ी रकम सामने आई। इस अप्रत्याशित खुलासे ने स्थानीय पुलिस को सीनियर अधिकारियों तक जानकारी पहुंचाने पर मजबूर कर दिया, और मामला जल्द ही देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना तक पहुंच गया।

READ ALSO  सुप्रीम कोर्ट ने मुक्त बाजार स्थितियों का हवाला देते हुए इंटरनेट की कीमतों को विनियमित करने की याचिका खारिज की

सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने 20 मार्च को एक आपात बैठक बुलाकर न्यायमूर्ति वर्मा का तत्काल तबादला उनके मूल हाईकोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट, में करने का निर्णय लिया। वे अक्टूबर 2021 में दिल्ली हाईकोर्ट में नियुक्त हुए थे।

Video thumbnail

केवल तबादला काफी नहीं, सख्त कार्रवाई की जरूरत पर जोर

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, कोलेजियम के कुछ सदस्यों ने यह भी तर्क दिया कि सिर्फ तबादला करना इस गंभीर मामले में पर्याप्त नहीं होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि न्यायमूर्ति वर्मा को नैतिकता के आधार पर स्वेच्छा से इस्तीफा दे देना चाहिए। यदि वे ऐसा नहीं करते, तो सुप्रीम कोर्ट की 1999 की इन-हाउस प्रक्रिया के तहत आंतरिक जांच शुरू की जा सकती है, जो आगे चलकर संसद में महाभियोग की प्रक्रिया का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।

READ ALSO  यूपी में शिक्षकों की नौकरी अधर में लटकी, हाईकोर्ट ने 69,000 शिक्षक भर्ती के नतीजों को फिर से तैयार करने का आदेश दिया

इस प्रक्रिया के तहत सबसे पहले सीजेआई उस न्यायाधीश से स्पष्टीकरण मांगते हैं, और यदि जवाब असंतोषजनक होता है, तो एक जांच समिति गठित की जाती है जिसमें एक सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और दो हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शामिल होते हैं।

2008 के ‘कैश-एट-डोर’ कांड से तुलना

यह मामला 2008 के चर्चित “कैश-एट-डोर” कांड से मिलता-जुलता माना जा रहा है, जब ₹15 लाख की नकदी गलती से पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति निर्मलजीत कौर के घर पहुंच गई थी। जांच में सामने आया कि वह रकम दरअसल न्यायमूर्ति निर्मल यादव के लिए थी, जिनके खिलाफ बाद में कार्रवाई की गई।

READ ALSO  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य को एसिड अटैक में घायल हुए मां-बेटे के मेडिकल बिल वाउचर के एवज में 5,26,000 रुपये का अतिरिक्त मुआवजा देने का निर्देश दिया

इस ताज़ा घटनाक्रम से न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर फिर से बहस छिड़ गई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे न्यायमूर्ति वर्मा के मामले में क्या कदम उठाए जाते हैं।

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI)

Law Trend
Law Trendhttps://lawtrend.in/
Legal News Website Providing Latest Judgments of Supreme Court and High Court

Related Articles

Latest Articles