लखनऊ में झूठे विवाह और बलात्कार मामलों में महिला वकील के खिलाफ एफआईआर दर्ज

लखनऊ के गोमती नगर पुलिस स्टेशन में एक महिला वकील के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, जिस पर वरिष्ठ अधिकारियों को झूठे विवाह और बलात्कार के मामलों में फंसाकर पैसे वसूलने का आरोप है। आरोपी वकील, शालिनी शर्मा, जो सहारनपुर के जनक नगर की रहने वाली है, पर फर्जी विवाह प्रमाण पत्रों का उपयोग कर झूठे दावे करने का आरोप है।

इस मामले में एक संगठित गिरोह की संलिप्तता उजागर हुई है, जिसे इलाहाबाद कोर्ट में कार्यरत दो वकीलों द्वारा संचालित किया जा रहा था। इस गिरोह का तरीका यह था कि वे युवतियों का उपयोग कर उच्च पदस्थ अधिकारियों को फंसाते और फिर उनसे मोटी रकम वसूलने के लिए कानूनी कार्रवाई और सार्वजनिक बदनामी की धमकी देते थे।

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एपीओ दीपक कुमार बने शिकार
वाराणसी में तैनात एपीओ दीपक कुमार इस गिरोह का शिकार बने। उन्होंने बताया कि शालिनी शर्मा ने दावा किया कि उनका विवाह 2 जनवरी 2001 को सहारनपुर में हुआ था और इसका प्रमाण एक विवाह प्रमाण पत्र है। लेकिन जांच में यह पाया गया कि यह विवाह कभी पंजीकृत नहीं हुआ था और उत्तर प्रदेश बार काउंसिल को दिए गए दस्तावेज़ भी फर्जी निकले।

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गिरोह के अन्य सदस्य
इस मामले में शालिनी शर्मा के साथ-साथ अशोक कुमार पांडेय और वसीम अहमद नामक दो अन्य आरोपियों पर भी अधिकारियों को ब्लैकमेल करने और कानूनी व्यवस्था का दुरुपयोग करने का आरोप है। वे अपने शिकार बने अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर की प्रतियां उनके विभागों में भेजकर उनकी छवि धूमिल करते थे और विभागीय जांच शुरू करवा देते थे।

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कुछ चर्चित मामले:

  1. बनारसी बाबू का मामला
    इलाहाबाद के जॉर्ज टाउन पुलिस स्टेशन में दीपक कुमार के खिलाफ झूठा बलात्कार का मामला दर्ज कराया गया था, जब उन्होंने इस गिरोह की मांगों को पूरा करने से इनकार कर दिया। हालांकि, यह साबित हो गया कि घटना के समय वह बनारस में थे। स्थानीय एसपी के हस्तक्षेप के बाद जांच में कोई ठोस सबूत न मिलने के कारण मामला खारिज कर दिया गया।
  2. सेना अधिकारी के खिलाफ मामला
    साल 2021 में, सहारनपुर के जनकपुरी में एक सेना अधिकारी और उनके परिवार के खिलाफ झूठा मामला दर्ज कराया गया था, जिसमें उन पर गलत तरीके से जमीन कब्जाने का आरोप लगाया गया था। इस मामले में अधिकारी ने अपने करियर और प्रतिष्ठा को देखते हुए चुप्पी साधे रखी।
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बार काउंसिल की कार्रवाई
इन घटनाओं के बाद, बार काउंसिल ने सख्त कदम उठाते हुए शालिनी शर्मा की वकालत की पंजीकरण रद्द कर दिया और ₹50,000 का जुर्माना लगाया। हालांकि, वाराणसी और लखनऊ में दर्ज मामलों के बावजूद, शालिनी शर्मा अभी भी फरार है।

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