इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिमालयन कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी भूमि घोटाले की सतर्कता जांच के आदेश दिए

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिमालयन कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी लिमिटेड और लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के कुछ कर्मचारियों से जुड़े भूमि धोखाधड़ी के आरोपों की उत्तर प्रदेश सतर्कता विभाग द्वारा गहन जांच का आदेश दिया है। न्यायालय के निर्देश का उद्देश्य उन आरोपों को संबोधित करना है कि सोसाइटी ने अनुमति से अधिक भूमि अवैध रूप से अर्जित और हस्तांतरित की, जिसके परिणामस्वरूप प्राधिकरण को महत्वपूर्ण वित्तीय नुकसान हुआ।

लखनऊ पीठ के न्यायमूर्ति राजीव सिंह ने सुनंदा अग्रवाल द्वारा दायर अवमानना ​​याचिका का जवाब देते हुए 3 दिसंबर को यह आदेश जारी किया। हालांकि न्यायालय ने LDA के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना ​​का प्रथम दृष्टया मामला बनाने का कोई आधार नहीं पाया, लेकिन कार्यवाही के दौरान सामने आए आरोपों की गंभीरता को पहचाना।

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जांच गोमतीनगर एक्सटेंशन में सोसाइटी की कार्रवाइयों पर केंद्रित है, जहां आरोप है कि उसने अपने सदस्यों को निर्धारित सीमा साढ़े बारह एकड़ से लगभग दोगुना क्षेत्रफल वाले भूखंडों का मुआवजा दिया है। न्यायालय द्वारा पूरी तरह से अवैध माने जाने वाले इस अतिक्रमण ने विस्तृत सतर्कता जांच की आवश्यकता को जन्म दिया।

इसके अलावा, सरकार और एलडीए दोनों द्वारा की गई पिछली जांच में पहले ही आवास समिति के भीतर अनियमितताओं का खुलासा हो चुका है, जिसमें एलडीए कर्मचारियों की संलिप्तता भी शामिल है। इन निष्कर्षों ने संभावित मिलीभगत और कदाचार के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा की हैं।

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अदालत ने सतर्कता विभाग को न केवल इन दावों को पंजीकृत करने और जांच करने का निर्देश दिया है, बल्कि 20 जनवरी तक अपने निष्कर्षों की एक व्यापक रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। निर्देश में दोषी सोसायटी और प्राधिकरण कर्मचारियों के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई भी शामिल है।

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