एक मस्जिद के बाहर हुई घातक झड़प के बाद एक निर्णायक कदम उठाते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने आगे की हिंसा को रोकने के लिए पुलिस हस्तक्षेप का आदेश दिया है। प्रार्थना के समय में टकराव को लेकर हुई झड़प में एक व्यक्ति की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए, जिसके बाद तत्काल न्यायिक जांच की आवश्यकता पड़ी।
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष ने हिंसक झड़प की कड़ी आलोचना की और पुलिस को मस्जिद के प्रवेश बिंदुओं को तुरंत प्रबंधित करने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति घोष ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की, “मानवता सबसे ऊपर है,” उन्होंने इस तरह की हिंसा के धार्मिक औचित्य पर सवाल उठाया। “कौन सा धर्म कहता है कि आपको किसी की हत्या करनी है? धर्म में भावना, चेतना और भावनाएं शामिल हैं। यदि इनमें से कोई भी कारक पार हो जाता है, तो घृणा पैदा होती है। सबसे ऊपर मानवता है,” उन्होंने कहा।
न्यायालय का सख्त निर्देश एक निरंतर याचिका को संबोधित करते हुए आया, जिसमें पहले इस तरह के संघर्षों को रोकने के लिए मस्जिद के लिए विशिष्ट प्रार्थना समय निर्धारित किया गया था। न्यायालय के अनुसार, हाल ही में हुई हिंसा ने न केवल सामुदायिक शांति को बाधित किया, बल्कि न्याय प्रशासन में भी हस्तक्षेप किया।
अपने सत्र में, हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन से एक व्यापक रिपोर्ट भी मांगी। इसने चेतावनी दी कि यदि इन नए उपायों की अवहेलना की गई, जिसके परिणामस्वरूप आगे और हिंसा हुई, तो यह स्थल पर सभी धार्मिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा देगा।