झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अपील को खारिज करते हुए उनकी जमानत जारी रखने की पुष्टि की है। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने सही फैसला दिया है। हाईकोर्ट के तार्किक फैसले की सराहना करते हुए कोर्ट ने कहा, “हम हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं हैं।” इसके अलावा, इसने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों से चल रहे मुकदमे पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को ईडी ने एक भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी से पहले सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद 4 जुलाई को उन्होंने फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हाईकोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि मामले की परिस्थितियों को देखते हुए याचिकाकर्ता द्वारा इसी तरह का अपराध करने की कोई संभावना नहीं है।
ईडी ने सोरेन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए आरोप लगाया था कि उन्होंने राज्य की राजधानी के बड़गाम इलाके में 8.86 एकड़ जमीन अवैध रूप से हासिल करने के लिए अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया है। ईडी के अनुसार, जांच के दौरान हेमंत सोरेन के मीडिया सलाहकार अभिषेक प्रसाद ने स्वीकार किया था कि पूर्व मुख्यमंत्री ने उन्हें उक्त भूखंड का स्वामित्व बदलने के लिए आधिकारिक रिकॉर्ड में हेरफेर करने का निर्देश दिया था। असली मालिक राजकुमार पाहन ने जमीन पर कब्जे के समय शिकायत दर्ज कराने का प्रयास किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। हाईकोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने के फैसले के बाद ईडी ने आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।