सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के निर्देशों पर अंतरिम रोक बढ़ा दी है, जिसके तहत कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने होंगे। यह निर्णय टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की याचिकाओं सहित उन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद आया, जिसमें उक्त निर्देशों को चुनौती दी गई थी।
भोजनालय मालिकों को अपना नाम प्रदर्शित करने के उद्देश्य से विवादास्पद निर्देशों का उत्तर प्रदेश सरकार ने शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तीर्थयात्रा सुनिश्चित करने के उपाय के रूप में बचाव किया। सरकार का बचाव 25 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में एक विस्तृत प्रस्तुतिकरण में प्रस्तुत किया गया।
उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछली घटनाओं का हवाला देते हुए आदेश को उचित ठहराया, जहां बेचे जाने वाले भोजन के प्रकार को लेकर भ्रम के कारण कांवड़ियों-कांवड़ यात्रा में भाग लेने वाले तीर्थयात्रियों के बीच तनाव पैदा हो गया था। सरकार के अनुसार, निर्देशों का उद्देश्य ऐसी गड़बड़ियों को रोकने के लिए सक्रिय उपाय के रूप में था, जो कथित तौर पर भोजनालयों की पेशकश से संबंधित गलतफहमी के कारण भड़की थीं।